नयी दिल्ली: स्कूलों में मारधाड, दुर्व्यवहार, रैगिंग जैसे मुद्दों के कारण एवं इनके विभिन्न पहलुओं को समझने एवं समाधान के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) सर्वेक्षण करा रही है और इस बारे में छात्रों, शिक्षकों एवं प्रचार्यो की राय एवं विचार मांगे गये हैं.
सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘भाषा’ से कहा, ‘‘छात्रों तथा शिक्षकों एवं प्रचार्यो के लिए कुछ प्रश्न तैयार किये गए हैं जिनका उत्तर उन्हें ई मेल के जरिये देना है. बोर्ड इन प्रश्नों के माध्यम से स्कूलों में छात्रों के बीच मारधाड, र्दुव्यवहार, गाली गलौच से जुडी घटनाओं के बारे में सर्वेक्षण करा रहा है.’’ बोर्ड ने मारधाड, र्दुव्यवहार से जुडे सर्वेक्षण में छात्रों से नाम, स्कूल का नाम, क्षेत्र, कक्षा, उम्र, लिंग का जिक्र करते हुए ऐसी घटनाओं एवं गतिविधियों के बारे में बताने को कहा है जो शारीरिक, मौखिक, साइबर या अप्रत्यक्ष दुर्व्यवहार से संबंधित हों.
स्कूली छात्रों से बताने को कहा गया है कि उन्हें कितनी बार शरीरिक, मौखिक, साइबर या परोक्ष र्दुव्यवहार का सामना करना पडा. उनसे यह भी बताने को कहा गया है कि उन्होंने कितनी बार दूसरे छात्रों को शरीरिक, मौखिक, साइबर या परोक्ष र्दुव्यवहार का सामना करते देखा.छात्रों से यह बताने को कहा गया है कि उनके या किसी अन्य छात्र के साथ कक्ष, कारिडोर, बस स्टाप, स्कूल बस, स्कूल के भवन, कैफीटेरिया आदि में से किस स्थान पर दुर्व्यवहार किया गया.
बोर्ड ने छात्रों से यह बताने को कहा है कि ऐसी परिस्थिति में उन्होंने क्या किया. उनसे यह बताने को कहा गया है कि क्या वे भाग गए, नजरंदाज कर दिया या दूसरों को ऐसा करने :र्दुव्यवहार: से रोका ? छात्रों से यह बताने को कहा गया है कि ऐसी घटनाओं के बाद क्या वे घर पर रुक गए. क्या उन्होंने इसके बारे में शिक्षकों या माता पिता या दोस्तों को बताया ? सीबीएसई ने इस बारे में स्कूल के शिक्षकों एवं प्रचार्यो की राय या विचार जानने का प्रयास किया है.
शिक्षकों और प्राचार्यो से यह बताने को कहा गया है कि उन्होंने छात्रों के बीच किस तरह के द्वन्द को देखा ? क्या यह मारधाड, प्रहार, धक्का देने के स्तर का था ? क्या उन्होंने छात्रों को एक दूसरे को धमकी देते, चिढाते या ऐसी किसी भाषा का इस्तेमाल करते पाया जो भावनाओं को आहत करता हो ?
शिक्षकों और प्राचार्यो से यह भी बताने को कहा गया है कि वे ऐसे व्यवहार की गंभीरता को किस स्तर का आंकते हैं. क्या ऐसे आचरण आपके या स्कूली प्रशासन के संज्ञान में आते हैं ? प्रशासन इस पर क्या कदम उठाती है और ऐसी परिस्थिति में स्कूल को और क्या करने की जरुरत है ?