नयी दिल्ली : पुरातत्व विभाग ने पहली बार माना है कि ताजमहल वास्तव में मंदिर नहीं बल्कि मकबरा है. विभाग ने इससे संबंधित एक रिपोर्ट कोर्ट में सौंपी है. विभाग ने कोर्ट में जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें बताया गया है कि ताजमहल मंदिर नहीं बल्कि मकबरा है और उसे मुमताज की याद में शाहजहां ने बनवाया था. पुरातत्व विभाग ने इस दावे को भी मानने से इनकार कर दिया है जिसमें दावा किया गया था कि ताजमहल हिंदुओं का शिवमंदिर है.
* क्या है मामला
दरअसल एक स्थानीय कोर्ट में इस संबंध में एक याचिका 8 अप्रैल 2015 को दायर की गयी थी. याचिका लखनऊ के एक अधिवक्ता हरिशंकर जैन और उनकी पांच लोगों की टीम ने दायर की थी. दायर याचिका में दावा किया गया था कि ताजमहल कोई मकबरा नहीं बल्कि एक शिवमंदिर है. याचिका कर्ता का कहना था कि ताजमहल में पूजा-आरती की अनुमति दी जाए.
* सीआइएस ने भी सरकार से पूछा है ताजमहल मकबरा या मंदिर बतायें
केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) ने सरकार से पूछा है कि ताजमहल आखिर क्या है, मंदिर या मकबरा. केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय से इस संबंध में जवाब की मांग की गयी है. मंत्रालय से यह स्पष्ट करने को कहा गया है कि यह ऐतिहासिक इमारत शाहजहां का बनवाया हुआ मकबरा है या यह शिव मंदिर है जिसे राजपूत राजा मान सिंह ने मुगल बादशाह को भेंट में दिया था. हालांकि सरकार ने इसका जवाब देने के लिए पुरातत्व विभाग की ओर गेंद उछाल दिया था.
* तेजोमहालय मंदिर था ताजहमल !
एक याचिका में दावा किया गया है कि ताजमहल का नाम तेजोमहालय था. जिसे शाहजहां ने ताजमहल का नाम दिया. याचिका में यह भी बतलाया गया कि इसका निर्माण 12वां सदी में राजा परामर्दी ने करवाया था. उनके बाद राजा मानसिंह का इसपर अधिकार हुआ और बाद में शाहजहां ने इसपर कब्जा किया.