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क्या कांग्रेस के मत प्रतिशत वृद्धि रिकॉर्ड को तोड़ पायेगी भाजपा?

जयपुर : सोलहवीं लोकसभा के गठन के लिए राजस्थान की पच्चीस सीटों पर दो चरणों में होने वाले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी , गत लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के मत प्रतिशत में 5.77 वृद्धि को तोड़ सकेगी या नहीं, इस पर राजनीतिक पंडितों की नजरें टिकी हुई हैं. पंद्रहवी लोकसभा के लिए वर्ष 2009 […]

जयपुर : सोलहवीं लोकसभा के गठन के लिए राजस्थान की पच्चीस सीटों पर दो चरणों में होने वाले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी , गत लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के मत प्रतिशत में 5.77 वृद्धि को तोड़ सकेगी या नहीं, इस पर राजनीतिक पंडितों की नजरें टिकी हुई हैं.

पंद्रहवी लोकसभा के लिए वर्ष 2009 में हुए चुनाव में कांग्रेस को चौदहवें आम चुनाव में मिले मत प्रतिशत से 5.77 फीसद अधिक मत मिलने से कांग्रेस की सीटें चार से बढ़कर बीस हो गयी थीं. वर्ष 1998 में कांग्रेस को 44.25 प्रतिशत वोट मिले और कांग्रेस की झोली में 25 में से 18 सीटें आईं. वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव में पार्टी का वोट प्रतिशत 0.87 प्रतिशत बढा और 45.12 प्रतिशत वोट मिलने के बावजूद लोकसभा में कांग्रेस के मात्र नौ उम्मीदवार ही पहुंचे.

राज्य निर्वाचन विभाग के अनुसार चौदहवीं लोकसभा के लिए वर्ष 2004 में हुए चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत चार प्रतिशत गिरा और 41.42 प्रतिशत रह गया तथा लोकसभा में कांग्रेस उम्मीदवारों की संख्या केवल चार रह गई. पंद्रहवीं लोकसभा के गठन के लिए वर्ष 2009 में कांग्रेस का मत प्रतिशत 5.77 बढ़कर 47.19 होने पर कांग्रेस को 16 सीटें मिलीं. पंद्रहवीं लोकसभा में कांग्रेस के चार से बढ़कर बीस उम्मीदवार लोकसभा में पहुंचे.

निर्वाचन विभाग के अनुसार हालांकि वर्ष 1998 से वर्ष 2004 के तीन लोकसभा चुनावों में भाजपा का वोट प्रतिशत लगातार बढ़ा लेकिन वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में वोट प्रतिशत में 12.44 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और इसका प्रभाव लोकसभा में पार्टी की संख्या पर भी पडा. पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्यों की संख्या 2004 के 21 के मुकाबले घटकर चार रह गई.

राज्य निर्वाचन विभाग के अनुसार वर्ष 1998 में लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कुल वैध मतों में से 41.65 वोट प्रतिशत प्राप्त कर पांच सीटों पर जीत दर्ज की. 1999 के लोकसभा चुनावों में 5.58 प्रतिशत के वोट प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज करने के साथ सीटें पांच से बढ़कर 16 हो गईं.

विभाग के आकडों के अनुसार वर्ष 2004 में 1.78 वोट प्रतिशत की बढ़त के साथ भाजपा का वोट प्रतिशत 49.01 दर्ज किया गया और पार्टी को पांच सीटों का इजाफा हुआ. पार्टी की सीटें 16 से 21 हो गईं. लेकिन 2009 के लोकसभा चुनावों में आयी 12.44 वोट प्रतिशत की गिरावट के कारण पार्टी की सीटें केवल चार रह गईं. विभाग के आकडों के अनुसार वर्ष 1998 से वर्ष 2009 के मध्य सम्पन्न चार लोकसभा चुनावों में अन्य पार्टियों के वोट प्रतिशत में केवल बसपा को छोड़कर शेष सभी अन्य पार्टियों के वोट प्रतिशत में गिरावट दर्ज की गई है.

बसपा के वोट प्रतिशत में 1998 से 2004 तक बढ़ोतरी दर्ज की गई लेकिन 2009 में बसपा का वोट प्रतिशत घटकर शून्य रह गया. जहां बसपा को 1998 के लोकसभा चुनाव में 2.12 वोट प्रतिशत मत मिले, वहीं 1999 में 2.76 प्रतिशत, 2004 में 3.16 प्रतिशत और 2009 में 0.00 मत प्रतिशत दर्ज किया गया.

आम चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवारों के वोट प्रतिशत में भी वर्ष 1998 से 2004 तक गिरावट दर्ज की गई लेकिन गत लोकसभा चुनाव में वर्ष 2009 में 6.58 वोट प्रतिशत बढ़कर 9.31 प्रतिशत होने की वजह से दौसा से डा किरोडी लाल मीणा चुनाव जीत गये.वर्ष 1998 में हुए तेरहवें आम चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों को मिले मत प्रतिशत में 3.8 के इजाफे की वजह से ही निर्दलीय उम्मीदवार बूटा सिंह जालौर संसदीय सीट से चुनाव जीत कर लोकसभा में पहुंचे थे.

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