श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती संविधान के अनुच्छेद 35ए की कानूनी चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए संभवत: आज दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगी. आधिकारिक सूत्रों ने उक्त जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि महबूबा आज दोपहर दिल्ली रवाना होने वाली हैं. समझा जाता है कि मुख्यमंत्री जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 35ए के मुद्दे पर जदयू नेता शरद यादव सहित अन्य नेताओं से भी मिलेंगी. संविधान के इस अनुच्छेद को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी है.
उन्होंने बताया कि महबूबा संविधान के इस अनुच्छेद को रद्द किये जाने के विरुद्ध आम-सहमति बनाने में जुटी हैं. इस अनुच्छेद के तहत जम्मू-कश्मीर की विधायिका को राज्य के ‘ ‘स्थायी निवासियों ‘ ‘ और उनके विशेष अधिकारों तथा मिलने वाले लाभों को परिभाषित करने की शक्ति प्राप्त है.
इस सिलसिले में एक आश्चर्यजनक घटनाक्रम में महबूबा ने इस सप्ताह विपक्षी दल नेशनल कान्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला से भेंटकर इस मामले से पार्टी का समर्थन मांगा था.
अब्दुल्ला ने महबूबा से कहा था कि संविधान के अनुच्छेद को रद्द करने के विरुद्ध संघ परिवार को राजी करने के लिए उन्हें प्रधानमंत्री, सभी महत्वपूर्ण केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा नेतृत्व से मुलाकात करनी चाहिए.
मुख्यमंत्री ने जम्मू-कश्मीर कांग्रेस अध्यक्ष जी. ए. मीर और डीपीएन प्रमुख गुलाम हसन मीर सहित राज्य के अन्य विपक्षी दलों के नेताओं के साथ भी बैठकें की हैं.
पीडीपी के सूत्रों का कहना है कि अनुच्छेद 35ए का रद्द होना ‘ ‘कश्मीर की सभी मुख्यधारा वाली राजनीतिक पार्टियों के लिए बेहद गलत होगा. ‘ ‘ उन्होंने कहा कि मुख्यधारा के नेताओं के लिए यह ‘सुनामी ‘ जैसा होगा क्योंकि भारतीय संविधान में जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष दर्जा ही उनकी राजनीति की ‘ ‘नींव का पत्थर ‘ ‘ है.
हालिया घटनाक्रम पर नेकां के प्रवक्ता जुनाई मट्टू ने ट्विटर पर लिखा है, ‘ ‘भाजपा के साथ गठबंधन में रहते हुए 35ए पर महबूबा मुफ्ती का भाजपा के खिलाफ आमसहमति बनाने का प्रयास अजीबो-गरीब है. वह केक पाना और खाना दोनों चाहती हैं. ‘ ‘ पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने लिखा है, ‘ ‘उनके भ्रम का सार यही है… रहो खरगोशों के साथ और शिकार करो शिकारी कुत्तों के साथ. वह भाजपा के साथ शासन करना चाहती हैं और हमारे साथ मिलकर उनकी राजनीति का विरोध भी करना चाहती हैं. ‘ ‘ यह पूरा विवाद 2014 मेंशुरू हुआ जब एनजीओ ‘वी द सिटिजन ‘ ने उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर संविधान के अनुच्छेद 35ए को रद्द करने का अनुरोध किया.
जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य को विशेष स्वायत्त राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 35ए और धारा 370 के तहत जम्मू-कश्मीर की सरकार अ-निवासियों के साथ भेदभाव करती है. उन्हें संपत्तिअर्जित करने, सरकारी नौकरियां पाने और स्थानीय चुनाव में मतदान करने से रोकती है.
उसमें कहा गया है कि सन 1954 में संविधान में अनुच्छेद 35ए राष्ट्रपति आदेश परजोड़ा गया था.