नयी दिल्ली : आज 9 अगस्त है यानी भारत छोड़ो आंदोलन की सालगिरह. अंग्रेजों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई के रूप में चर्चित अगस्त क्रांति के आज 75 साल पूरे हो गये. इस अवसर पर संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं सालगिरह पर लोकसभा में वक्तव्य देते हुए कहा कि आज का दिन हमारे लिये गौरव की बात है. उन्होंने कहा कि जीवन में ऐसी घटनाओं का बार-बार स्मरण एक नयी ताकत देता है. पीढ़ी दर पीढ़ी महापुरुषों के बलिदान को पहुंचाने का हमारा दायित्व है.
पीएम मोदी ने कहा कि पीढ़ी दर पीढ़ी इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों, महापुरुषों के बलिदान को पहुंचाने का हर पीढ़ी का दायित्व है. आज अगस्त क्रांति के 75 साल हो गये हैं, मैं इस अवसर के लिए अध्यक्ष महोदया का आभारी हूं जिन्होंने विशेष सत्र बुलाने की अनुमति दी. उन्होंने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन आजादी के लिए अंतिम व्यापक जनसंघर्ष था.
पीएम मोदी ने कहा कि 1942 ने देश को उस छोर पर ला दिया कि अब नहीं तो कभी नहीं. इसकी वजह से उस आंदोलन में देश का हर व्यक्ति जुड़ गया था. 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में ऐसा कोई नहीं था, जिसे इसने अपना नहीं माना था. गांधी के मुंह से करेंगे या फिर मरेंगे शब्द देश के लिए अजूबा था. गांधी जी ने कहा था कि ‘हम पूर्ण स्वतंत्रता से कम किसी बात से संतुष्ट नहीं होंगे, करेंगे या मरेंगे’.उन्होंने कहा कि 1942 का नारा था ‘करो या मरो’ आज का नारा है ‘करेंगे या कर के रहेंगे.
पीएम मोदी ने कहा कि देश मुक्ति के लिए छटपटा रहा था, किसी की भावनाओं में अंतर नहीं था. देश जब उठ खड़ा होता है तो 5 साल के भीतर बेड़ियां चूर चूर हो जाती हैं और मां भारती आजाद हो जाती हैं. रामवृक्ष वेनीपुरी जी ने लिखा ‘देश ने स्वयं को क्रांति के हवन कुंड में झोंक दिया, मुंबई ने रास्ता दिखा दिया. आवागमन के साधन ठप हो चुके थे, जनता ने करो या मरो के गांधीवादी मंत्र को दिल में बैठा लिया था’.
पीएम मोदी ने कहा कि ब्रिटिश उपनिवेशवाद की शुरुआत भी भारत से हुई और अंत भी. यह भारत की प्रबल इच्छाशक्ति का परिणाम था. संकल्प लेकर जब हम निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने में लग जाते हैं तो कुछ भी कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि जब हम एक होकर, संकल्प लेकर, पूरे सामर्थ्य के साथ जुट जाते हैं, तो हम देश को गुलामी के जंजीरों से बाहर निकाल सकते हैं. बापू के बारे में सोहनलाल द्विवेदी ने कविता में कहा था, ‘चल पड़े दो डग जिस मग में चल पड़े कोटि पग उसी ओर.’
संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने महात्मा गांधी को याद करते हुए कवि सोहनलाल द्विवेदी की कविता पढ़ी- ‘चल पड़े जिधर दो डग, मग में चल पड़े कोटि पग उसी ओर ; गड़ गई जिधर भी एक दृष्टि गड़ गए कोटि दृग उसी ओर’…उन्होंने कहा कि हम एक बार फिर पूरे विश्व के लिए प्रेरणा बन सकते हैं. भ्रष्टाचार रूपी दीमक ने देश को तबाह करके रखा है. महात्मा गांधी का ग्राम स्वराज का सपना कितना पीछे छूट गया है, गांव के लिए अगर हम मिलकर कुछ कर सकते हैं तो करना चाहिए.
पीएम मोदी ने कहा कि जाने अनजाने में अधिकार भाव प्रबल होता गया और कर्तव्य भाव लुप्त होता गया. अब हमें लगता ही नहीं है कि हम कानून तोड़ रहे हैं. समाज को इन दोषों से मुक्ति दिलाना हम सबकी जिम्मेदारी है.
पीएम मोदी ने कहा कि शौचालय बनाना एक काम है लेकिन मानसिकता बदलना जनसामन्य के लिए जरूरी है. हमारे देश की माताएं बहनें देश पर सबसे कम बोझ डालती हैं। उनका सामर्थ्य हमें ताकत दे सकता है. देश को आजादी दिलाने में हमारी माताओं बहनों का योगदान था.
उन्होंने कहा कि हमारे चरित्र में कुछ चीजें घुस गई हैं, जिससे हमें लगता ही नहीं है कि हम कानून तोड़ रहे हैं। चौराहे पर रेडलाइट लांघने पर पता नहीं होता है कि वह गलत कर रहा है. 1857 से 1942 तक धीरे धीरे जागरूकता फैल रही थी लेकिन 1942 से 45 के बीच तीव्रता से आंदोलन चला.
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले 30-40 साल में दुनिया में जो बदलाव आया है वह पहले हमें नजर भी नहीं आता था. 2022 तक अगर भारत में वही मिजाज फिर पैदा करें, तब हम वीरों का सपना पूरा कर सकते हैं. हमारे आजादी के आंदोलन से दुनिया के कई देशों को मदद मिली, अगर हम फिर से वही प्रयास करते हैं तो दुनिया के कई देशों को मदद मिलेगी.
भारत छोड़ो आंदोलन पर लोकसभा में चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने आगे कहा कि कानून तोड़ना हमारा स्वभाव बन गया है. पांच वर्षों के महत्व को अगर हम भुनाएंगे तो कई मुद्दों पर सहमति बन सकती है। जीएसटी की सफलता किसी दल की सफलता नहीं है. उन्होंने कहा कि जीएसटी विश्व के लिए बहुत बड़ा अजूबा है, देशवासियों को साथ लेकर 2022 के संकल्प को साथ लेकर चलेंगे तो हमें परिणाम मिलेगा. हम लोगों को देश से भ्रष्टाचार दूर करना है, गरीबों को अधिकार दिलाएंगे और दिलाकर रहेंगे. कुपोषण खत्म करेंगे और करके रहेंगे, अशिक्षा खत्म करेंगे और करके रहेंगे.