रायपुर : छत्तीसगढ के दुर्ग जिले की अदालत ने मानव बलि देने के जुर्म में एक महिला समेत सात लोगों को फांसी की सजा सुनाई है. दुर्ग जिले के लोक अभियोजक सुदर्शन महावर ने बताया कि जिला और सत्र न्यायालय ने मानव बलि देने के आरोप में तांत्रिक ईश्वरी यादव (42 वर्ष), पत्नी किरण (35 वर्ष) तथा उनके चेले महानंद यादव, राजेंद्र महार, निहालुददीन, सुखदेव यादव और हेमंत साहू को फांसी की सजा सुनाई है. महावर ने बताया कि 23 नवंबर वर्ष 2010 को दुर्ग जिले के भिलाई शहर स्थित रुवांबाधा से पोषण सिंह राजपूत का दो वर्षीय पुत्र चिराग लापता हो गया था.
उन्होंने बताया कि जब चिराग के परिजन उसे तलाश रहे थे तो उन्हें करीब में रहने वाले तांत्रिक ईश्वरी यादव के घर से तेज संगीत की आवाज सुनाई दी. चिराग के परिजनों और पडोसियों को जब शक हुआ तब वह ईश्वरी यादव के घर में घुस गए. इस दौरान पडोसियों ने ईश्वरी के पूजा करने वाले कमरे से एक लोटा खून, मानव अंग और अन्य आपत्तिजनक वस्तु बरामद कीं. लोक अभियोजक ने बताया कि जब चिराग के परिजनों ने ईश्वरी यादव से कडाई से पूछताछ की तो ईश्वरी और उसके साथियों ने बच्चे की हत्या की बात कबूल ली. तब उन्होंने इसकी जानकारी पुलिस को दी.
बाद में पुलिस ने ईश्वरी और उनके साथियों को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ के बाद में पुलिस ने बच्चे के शव को उसके घर से बरामद किया. वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया कि पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ हत्या, अपहरण और साक्ष्य छुपाने का मामला दर्ज करते हुए सभी को अदालत में पेश किया था. सुनवाई के बाद अदालत ने आज सातों को फांसी की सजा सुनाई है.
उन्होंने बताया कि इस मामले के अन्य दो आरोपी कृष्णा और तंबी फरार हैं जिनकी तलाश पुलिस कर रही है. पुलिस ने इस मामले में पूजा के दौरान मौजूद ईश्वरी के दो बेटों और दो बेटियों को भी आरोपी बनाया है जिनका मामला किशोर न्यायालय में चल रहा है.