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जसवंत ने बाडमेर से नामांकन दाखिल किया, नमो, नमो नारे का किया उपहास

बाडमेर: भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर नाराज वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह ने आज बाडमेर संसदीय सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया और नरेंद्र मोदी पर परोक्ष रुप से हमला बोलते हुए कहा कि ‘‘ नमो नमो तमाशा’’ तथा पार्टी में फैसला करने की प्रक्रिया से आपातकाल युग का […]

बाडमेर: भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर नाराज वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह ने आज बाडमेर संसदीय सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया और नरेंद्र मोदी पर परोक्ष रुप से हमला बोलते हुए कहा कि ‘‘ नमो नमो तमाशा’’ तथा पार्टी में फैसला करने की प्रक्रिया से आपातकाल युग का ‘‘अहंकार’’ प्रदर्शित होता है.उन्होंने पार्टी प्रमुख राजनाथ सिंह और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि उन लोगों ने उन्हें ‘‘धोखा दिया’’ और कांग्रेस छोड कर पार्टी में आए सोनाराम चौधरी को मैदान में उतार दिया.

सिंह जिलाधिकारी सह निर्वाचन अधिकारी के समक्ष चार सेटों में नामांकन दाखिल करने के बाद संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘‘नमो नमो तमाशा, फैसला करने की प्रक्रिया (भाजपा में) से 1975 की याद आ रही है. इसमें अहंकार ज्यादा और सब को साथ लेकर चलने पर जोर कम है.’’

पार्टी ने उन्हें बाडमेर से टिकट नहीं देने का फैसला किया था. इसके बाद 76 वर्षीय सिंह ने पार्टी की अनदेखी करते हुए निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया. उन्होंने कहा कि यह पार्टी को तय करना है कि वह उन्हें पार्टी में बनाए रखती है या नहीं. ‘‘वे मुझे निकाल सकते हैं.’’ भाजपा के संस्थापकों में से एक सिंह ने कहा कि टिकट से इंकार किया जाना क्षेत्र में कार्यकर्ताओं के लिए ‘‘काफी अपमानजनक’’ था. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे राजनाथ सिंह से टेलीफोन पर सूचना मिली कि यह (बाडमेर से टिकट) संभव नहीं है.’’


शुक्रिया, अपने पास रखें उत्तम विचार
‘उनकी सेवाओं का उपयुक्त ढंग से उपयोग करने’ की पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह की टिप्पणी पर जसवंत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की. कहा-मैं फर्नीचर का टुकड़ा नहीं हूं. ‘समावेश’ करने के विशेषण का विकल्प अपने आप में मानसिकता को प्रदर्शित करता है. कोई सिद्धांतों का समावेश कैसे कर सकता है. यह अपमानजनक है. ‘चुनाव के बाद भरपाई करने’ की राजनाथ की टिप्पणी पर कहा कि इस विचार और इसके पीछे की मानसिकता को भी खारिज करता हूं. इन शब्दों के पीछे के विचार अहंकार और असम्मान से परिपूर्ण हैं. शुक्रिया, वह इसे अपने पास रखें. क्योंकि राजनीतिक जीवन में मैंने परिस्थितियों के अनुरूप पार्टी के लिए काम किया. सहूलियत की राजनीति को कभी नहीं अपनाया. इस बीच जसवंत के पुत्र और विधायक मानवेंद्र सिंह ने अपने पिता के पदचिह्नें पर चलने का संकेत दिया है.

समर्थकों की बैठक, मोदी के फाड़े पोस्टर
भाजपा की जैसलमेर जिला इकाई के सदस्य रविवार को यहां जबरन पार्टी कार्यालय में घुस गये. बैठक कर जसवंत सिंह को बाडमेर से टिकट नहीं देने के फैसले का विरोध किया. पार्टी नेतृत्व से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग की. वहीं, कई स्थनानों पर समर्थकों ने नरेंद्र मोदी के पोस्टर भी फाड़े. भाजपा नेताओं ने कहा कि यह बाडमेर और जैसलमेर के पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय है. हालांकि, जिला भाजपा इकाई की कार्यकारिणी के कुछ सदस्यों ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया.

कई बार ‘नहीं’को भी कबूल करना चाहिए
जसवंत सिंह द्वारा निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी के बीच पार्टी नेता अरुण जेटली ने कहा कि नेताओं को सुविधाएं प्राप्त करने के बाद कई बार ‘नहीं’ को भी कबूल करना चाहिए. अपनी वेबसाइट पर लिखा, राजनीतिक दल की सदस्यता प्राप्त होना एक विशेषाधिकार है. यह खुद को संयमित रखने की भी प्रक्रिया है, जहां निजी विचारों और महत्वाकांक्षाओं को पार्टी के सामूहिक सोच को समर्पित कर दिया जाता है. कई बार पार्टी में विशेषाधिकार और पद रखने वाले नेताओं की अधिकता हो सकती है. कुछ अन्य मौकों पर नेता को अपनी आकांक्षाओं के जवाब में ‘नहीं’ सुनना पड़ सकता है. अगर किसी नेता को टिकट नहीं दिया गया है तो उसे ‘मुस्कराहट’ के साथ फैसले को कबूल कर लेना चाहिए.

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