वास्तु व संस्कृति की नगरी हैं सोमनाथ व द्वारका

सोमनाथ व द्वारिका का नाम लेते ही ऐसे शहरों का रूप सामने आने लगता है, जो न केवल घूमने के लिए बेहतर है बल्कि इसका सांस्कृतिक महत्व भी है. मैंने अपने पति डॉक्टर पंकज तिवारी के साथ कई शहरों को घूमने की योजना बनायी. अंत में हमने द्वारका व सोमनाथ को घूमने के लिए चुना. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 17, 2019 1:00 PM

सोमनाथ व द्वारिका का नाम लेते ही ऐसे शहरों का रूप सामने आने लगता है, जो न केवल घूमने के लिए बेहतर है बल्कि इसका सांस्कृतिक महत्व भी है. मैंने अपने पति डॉक्टर पंकज तिवारी के साथ कई शहरों को घूमने की योजना बनायी. अंत में हमने द्वारका व सोमनाथ को घूमने के लिए चुना. हम सब इन शहरों के बारे में बहुत कुछ सुना था लिहाजा पटना से निकलने के पहले ही हमारे मन में उत्सुकता होने लगी थी.

पहले फ्लाइट, फिर सड़क मार्ग की यात्रा
हमारी शुरुआत पटना से हुई. चूंकि पटना से द्वारका जाने के लिए राजकोट जाना होता है. इसलिए हमने पहले राजकोट जाने का फैसला किया. पटना से राजकोट के लिए सीधी फ्लाइट नहीं है. इसलिए हमने कनेक्टिंग फ्लाइट का ऑप्शन चुना और सफर शुरू किया. दिन की फ्लाइट से मुंबई पहुंचे. वहां जाते जाते शाम हो चुकी थी. एयरपोर्ट से निकलने के बाद ही हम राजकोट के लिए निकल पड़े. करीब चार घंटे की यात्रा के बाद रात होते होते हम द्वारका पहुंच गये थे. हालांकि जाने के क्रम में रास्ते में काठियावाड़ी होटल भी मिले. जहां हमने गुजराती भोजन का आनंद लिया. इस दौरान हमारी गाड़ी जामनगर होते हुए भी गुजरी. जो कि रिलायंस की रिफाइनरी के लिए विश्व प्रसिद्ध है. रिफाइनरी के बगल से ही गुजरती सड़क से हमने रिफाइनरी को भी देखा.

मोक्षनगरी के रूप में फेमस है द्वारका
हमने इस बात की जानकारी पहले ही ले ली थी कि गुजरात की यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर और मार्च के महीनों के दौरान होता है. इसलिए हमने जनवरी माह को चुना. हम ऐसे जगह पर घूमना चाहते थे जो पुरानी हो साथ ही घूमने के लिहाज से भी बेहतर हो. इसमें सबसे बेहतर द्वारका ही लगा. द्वारका महत्वपूर्ण धाम सभी चार धाम में से एक माना जाता है. यहां के जानकारों ने बताया कि द्वारका शब्द, द्वार या दरवाजा से लिया गया है. प्राचीन काल में इसे मुख्य भूमि के लिए प्रवेश द्वार माना जाता था. जबकि का शब्द का प्रयोग मोक्ष के लिए गेटवे के रूप में होता है. गाइड ने यह भी बताया कि इस शहर को द्वारकामति या फिर द्वारकावती के नाम से भी जाना जाता है. यह शहर एक फेमस हिंदू तीर्थ स्थल के रूप में ख्यात है. इसे मोक्षपुरी के नाम से भी जाना जाता है.

नागेश्वर की छटा है निराली
द्वारका पहुंचने के बाद अगली रात हम सभी नागेश्वर महादेव के लिए घूमने निकले. वहां की अद्भूत छंटा ने मन मोह लिया. यहां पर महादेव की भव्य प्रतिमा स्थापित है जो दूर से ही दिखायी देती है. प्रतिमा को देखने को के बाद मन में भक्ति भाव जग गया. नागेश्वर महादेव के दर्शन के बाद हमारी यात्रा पुन: द्वारका के लिए शुरू हुई. वहां पहुंचने पर गाइड ने पूरे मंदिर के निर्माण की बातें बतायी और पूरे मंदिर का दर्शन कराया. गाइड ने विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण की उस प्रतिमा को दिखाया जिसमें उनकी पटरानियां भी साथ हैं. द्वारका के बाद हमने तुलादान मंदिर की तरफ रूख किया. इस जगह का अपना अलग ही महत्व है. इस जगह पर तुला में बैठ कर वजन के अनुसार अनाज काे दान करना होता है. हमने भी दान दिया और आगे की तरफ बढ़ गये.

न्यारा है सोमनाथ
द्वारका के बाद हमने सोमनाथ मंदिर की यात्रा को शुरू किया. यहां के गाइड ने हमें बताया कि दरअसल यह अत्यन्त प्राचीन व ऐतिहासिक सूर्य मन्दिर का नाम है. इसका अपना ऐतिहासिक महत्व है और यह हिन्दुओं के चुनिन्दा और महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है. इस मंदिर को आज भी देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में माना व जाना जाता है. गाइड ने बताया कि इस मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चंद्रदेव ने किया था, जिसका उल्लेख ऋग्वेद में स्पष्ट है. इन जगहों पर घूमने के दौरान यह बात बिल्कुल स्पष्ट हो गयी कि हमारे देश का संस्कृति कितनी उन्नत है.

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