Subhash Chandra Bose Jayanti 2021 Wishes, Parakram Diwas Wishes, Quotes, Status, Messages: भारत के बहादुर स्वतंत्रता सेनानी और महान नेताओं में से एक सुभाष चंद्र बोस की 23 जनवरी 2021 को जयंती मनायी जानी है. उनके अविस्मरणीय योगदान का देश आज भी कर्जदार है. शनिवार को उनकी 124वीं जयंती मनायी जाएगी. अंग्रेजों को धूल चटाने के लिए उन्होंने अपनी आजाद हिंद फौज के नाम से अलग सेना ही तैयार कर ली थी. उनका जन्म सन् 1897 को उड़ीसा के कटक में हुआ था. उनके जोशीले विचार और भाषण आज भी युवाओं के लिए प्रेरणादायक है. आइये देशवासियों को इस अवसर पर भेजते हैं ढेर सारे शुभकामना भरे संदेश...
नहीं सिर्फ जश्न मनाना, नहीं सिर्फ झंडे लहराना
ये काफी नहीं है वतन पर, यादों को नहीं भुलाना
जो कुर्बान हुए उनके लफ़्ज़ों को आगे बढ़ाना
खुद के लिए नही ज़िन्दगी वतन के लिए लुटाना
पराक्रम पर्व की शुभकामनाएं...
देशभक्तों के खून में प्रेरणा बनकर आग लगाई है,
आजादी के खातिर ही नेताजी ने अपनी जान गवाई है.
बोस जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं
चलो फिर से आज वो नजारा याद कर लें
शहीदों के दिल में थी वो ज्वाला याद कर ले
जिसमे बहकर आज़ादी पहुची थी किनारे पे
देशभक्तों के खून की वो धरा याद कर लें
पराक्रम पर्व की शुभकामना
वो पराधीनता का दौर था,
जब युवा आजादी को
अपना लक्ष्य मानते थे.
अब देश आजाद है.
अब युवाओ का लक्ष्य
देश की तरक्की होनी चाहिए.
Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti Ki Shubhakamnayen
भारत की आजादी के लिए नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने जो त्याग और बलिदान दिया.
उस बलिदान का हर भारतीय ताउम्र ऋणी रहेगा.
नेताजी जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं
आजादी की कभी शाम नहीं होने देंगे
शहीदों की कुर्बानी बदनाम नहीं होने देंगे
बची हो जो एक बूंद भी लहू की
तब तक भारत माता का आँचल नीलाम नहीं होने देंगे
पराक्रम पर्व की शुभकामना
करता हूं भारत माता से गुजारिश
की तेरी भक्ति के सिवा कोई बंदगी ना मिले
हर जन्म मिले हिन्दुस्तान की पावन धरा पर
या कभी जिंदगी न मिले
लिख रहा हूं मैं अजांम जिसका कल आगाज आयेगा
मेरे लहू का हर एक कतरा इकंलाब लायेगा
मैं रहूँ या ना रहूँ पर ये वादा है तुमसे मेरा कि
मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आयेगा
पराक्रम पर्व की शुभकामना
गुलामी जिन्दा इंसान को भी लाश बना देती है
इसलिए अपनी व्यक्तिगत आजादी और
देश की आजादी के लिए
हमेशा लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए
भावना के बिना चिंतन असंभव है. यदि हमारे पास केवल भावना की पूंजी है तो चिंतन कभी भी फलदायक नहीं हो सकता. बहुत सारे लोग आवश्यकता से अधिक भावुक होते हैं परन्तु वह कुछ सोचना नहीं चाहते'
वे क्रांतिकारी विचारधारा रखते थे इसलिए वे कांग्रेस के अहिंसा पूर्ण आन्दोलन में विश्वास नहीं रखते थे इसलिए उन्होंने कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया था। बोस जी अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध छेडकर देश को स्वाधीन करना चाहते थे। उन्होंने देश में हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए फारवर्ड ब्लाक की स्थापना की.
देश की स्वतंत्रता के लिए भारतियों ने जिस यज्ञ को शुरू किया था उसमें जिन-जिन स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया था उसमें सुभाष चन्द्र बोस भी थे. सुभाष चन्द्र बोस जी का नाम बहुत ही स्नेह और श्रद्धा के साथ लिया जाता है. वीर पुरुष हमेशा एक ही बार मृत्यु का वरण करते हैं लेकिन वे अमर हो जाते हैं उनके यश और नाम को मृत्यु मिटा नहीं पाती है. सुभाष चन्द्र बोस जी ने स्वतंत्रता के लिए जिस रस्ते को अपनाया था वह सबसे अलग था. स्वतंत्रता की बलिवेदी पर मर मिटने वाले वीर पुरुषों में से सुभाषचन्द्र बोस का नाम अग्रगण्य है.