Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति 14 के बजाय 15 जनवरी को, जानें कारण, स्नान-दान का शुभ मुहूर्त और महत्व

Makar Sankranti 2023 Date: मकर संक्रांति का पर्व उदयातिथि के अनुसार रविवार 15 जनवरी को ही मनाया जाएगा. जानें ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा के अनुसार स्नान-दान का शुभ मुहूर्त कब से कब तक है?

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 14, 2023 7:56 AM

Makar Sankranti 2023 Date: हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार मकर संक्रांति पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाएगा. ऐसे में मकर संक्रांति का त्योहार 14 या 15 जनवरी को होगी. इसे लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. इस दौरान ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा ने बताया कि मकर संक्रांति का पर्व उदयातिथि के अनुसार रविवार 15 जनवरी को ही मनाया जाएगा. क्योंकि सूर्य शनिवार 14 जनवरी को रात्रि 2:53 बजे धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे.

मकर संक्रांति स्नान-दान का शुभ मुहूर्त

15 जनवरी को मकर संक्रांति का पुण्य काल मुहूर्त सुबह 7:15 बजे से 12:30 बजे तक रहेगा और महापुण्य काल मुहूर्त सुबह 7:15 बजे से 9:15 बजे तक रहेगा. मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन पुण्य काल या महा पुण्य काल में किये गये दान कर्म विशेष फलदायी होते हैं.

भगवान विष्णु ने मकर संक्रांति के दिन असुरों का किया था अंत

ज्योतिषाचार्य के अनुसार मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत कर उनके सिरों को मंदार पर्वत में दबाकर युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी. इसलिए मकर संक्रांति के दिन को बुराइयों और नकारात्मकता को समाप्त करने का दिन भी माना जाता है. हालांकि इस त्योहार को बिहार व अन्य राज्यों में खिचड़ी के नाम से मनाया जाता है. कहा कि 6 मास के शुभ काल में जब सूर्यदेव उत्तरायण होते हैं तभी पृथ्वी प्रकाशमय हो जाती है. जब कोई इस प्रकाश में शरीर का परित्याग करते हैं. तो उस व्यक्ति का पुनर्जन्म नहीं होता है. ऐसे लोग सीधे ब्रह्म को प्राप्त होते हैं. उन्होंने बताया कि जब सूर्य दक्षिणायण होता है. तो पृथ्वी अंधकार मय होती है. साथ ही उसी अंधकार में शरीर त्याग करने पर पुन: जन्म लेना पड़ता है. इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व माना जाता है.

भगवान सूर्यदेव धनु राशि से मकर राशि में करेंगे प्रवेश

मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्यदेव धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करते हुए उत्तर पथगामी हो जाएंगे. जिसके बाद खरमास खत्म हो जाएगा. साथ ही इस दिन नदी, तालाब व घरों में लोग व्रत कर कथा सुनने के साथ भगवान सूर्य देव की उपासना का खास महत्व है. इसके अलावा स्नान व दान करना पूण्य फलदायक है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए आते हैं. जिसकी वजह से लगभग उसी वक्त शुक्र का उदय होने के साथ शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाएगी. भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान था. इसलिए वे बाणों की शैया पर लेट कर उसी दिन का इंतजार कर रहे थे. चुंकि इसी दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है.

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