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कर्मचारियों के खराब मेंटल हेल्थ का कंपनियों पर असर, सालाना हो रही इतने की नुकसान, सर्वे में हुआ खुलासा

Employee's Poor Mental Health: पिछले कुछ साल में मानसिक स्वास्थ्य की समस्या तेजी से बढ़ता जा रहा है. जो कोविड-19 के समय से इसमें और वृद्धि हुई है. WHO के अनुसार दुनियाभर में मानसिक स्वास्थ्य के मामलों में भारत की हिस्सेदारी करीब 15 फीसदी है.

Employee’s Poor Mental Health: पिछले कुछ सालों में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों में वैश्विक स्तर पर लगातार वृद्धि देखी जा रही है. ऐसे मामले COVID-19 के दौरान और अधिक बढ़ गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार भारत वैश्विक मानसिक स्वास्थ्य बोझ का लगभग 15 प्रतिशत हिस्सा है. भारतीय कर्मचारियों के बीच मानसिक कल्याण की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करने के लिए डेलॉइट टौच तोहमात्सु इंडिया एलएलपी (DTTLLP) ने ‘कार्यस्थल में मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण’ शीर्षक से एक सर्वेक्षण किया.

ऑफिस से जुड़ा तनाव है बड़ी वजह

खबरों के अनुसार डेलॉयट टच तोहमात्सु इंडिया (Deloitte Touch Tohmatsu India) ने एक बयान में कहा कि भारतीय कर्मचारियों (employees) के बीच मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करने को लेकर कार्यस्थल में मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) और कल्याण शीर्षक से एक सर्वे किया गया. जिसमें ये पता चला कि करीब 47 प्रतिशत कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य (Employees poor mental health) बिगड़ने के पीछे उनके ऑफिस से जुड़े तनाव बड़ी वजह है. इसके अलावा वित्तीय और कोविड-19 से जुड़ी चुनौतियां भी इन सब के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं.

ऑफिस में तनाव के कारण छुट्टियों से नुकसान

सर्वे में पाया गया कि लोग कई मुद्दों को लेकर तनाव में रहते है. जो किसी व्यक्ति के पर्सनल और प्रफेश्नल लाइफ को प्रभावित करता हैं. इसमें सामाजिक और आर्थिक लागत भी जुड़ी होती है. रिपोर्ट में ये भी पाया गया कि भारतीय कर्मचारियों की मानसिक स्थिति पर प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण वो ऑफिस में अनुपस्थित होते हैं और कम प्रोडक्टिविटी और नौकरी छोड़ने के चलते भारतीय कर्मचारियों (Indian Employers) को सालाना लगभग 14 अरब डॉलर का बोझ पड़ता है.

खराब परिवेश में काम करने से बढ़ता है तनाव

रिपोर्ट में यह भी पता चला कि खराब स्वास्थ्य का मुख्य कारण खराब परिवेश में काम करना और खुद को उस परिवेश में ढाल न पाने के कारण तनाव बढ़ता है. सर्वेक्षण (Employees poor mental health survey) के मुताबिक पिछले एक साल के दौरान 80 प्रतिशत भारतीय कार्यबल (Indian Workforce) ने मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health Case ) मसलों के बारे में जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि ऑफिस में ऐसा माहौल बनाने की आवश्यकता है जिससे कर्मचारी टेंशन फ्री माहौल मिले और उनके पास उनकी जरूरत का समर्थन हो, ताकि हर कोई कामयाब हो सके.

कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता

इसे लेकर, चारु सहगल, पार्टनर और लाइफ साइंसेज और हेल्थ केयर लीडर, DTTILLP ने कहा कि भारतीय कर्मचारियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां नई नहीं हैं, लेकिन ये COVID-19 के आने के बाद से ऐसे मामलों में बढ़ोतरी आई है. ऐसे में कर्मचारियों के कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए.

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