Holi 2023: इस वर्ष, होली बुधवार को यानी 8 मार्च 2023 को मनाई जाएगी, जबकि हिंदू त्योहार का उत्सव मंगलवार की रात यानी 7 मार्च 2023 को होलिका दहन के साथ शुरू होगा. चूंकि होली नजदीक है, इसलिए देश के विभिन्न हिस्सों में रंगों का त्योहार कुछ इस तरह मनाया जाता है-
Dol jatra in Bengal (डोल यात्रा)
डोल यात्रा प्रत्येक वर्ष अलग-अलग तिथियों पर मार्च में मनाई जाती है, जो चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करती है, और इस वर्ष यह 7 मार्च को पड़ रहा है. यह दिन होली के समान है और बंगाली कैलेंडर के अंतिम त्योहार के रूप में मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं लाल पार वाली पारंपरिक साड़ी पहनकप शंख बजाती है और प्रभात फेरी निकाली जाती है. साथ ही इसमें गाजे-बाजे के साथ, कीर्तन और गीत गाए जाते हैं. दोल शब्द का मतलब झूला होता है, झूले पर राधा-कृष्ण की मूर्ति रख कर महिलाएं भक्ति गीत गाती हैं और पूजा-पाठ करती है. जिसके बाद लोग रंग और अबीर से होली खेलते हैं.
Hola mohalla In anandpur saheb (होला मोहल्ला)
आनंदपुर साहिब होला मोहल्ला (8-10 मार्च) के तीन दिवसीय उत्सव की मेजबानी करता है. होला मोहल्ला एक सिख त्योहार है जो हर साल मार्च के महीने में मनाया जाता है, आमतौर पर हिंदू त्योहार होली के एक दिन बाद मनाया दाता है. तीन दिवसीय त्योहार दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह द्वारा स्थापित किया गया था.
Gaj mahotsav in jaipur (गज महोत्सव)
हाथी उत्सव जयपुर का एक प्रसिद्ध स्थानीय उत्सव है. यह जयपुर में हर साल पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस वर्ष हाथी उत्सव 08 मार्च 2023 रविवार को होने जा रहा है. यह उत्सव जयपुर की पुरानी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है. यह जयपुर के प्राचीन निवासियों और हाथियों के बीच संबंधों को दर्शाता है क्योंकि हाथी उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे.
International Yoga Festival Rishikesh 2023 (अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव 2023 ऋषिकेश)
अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव 2023 ऋषिकेश में 1 मार्च से 7 मार्च 2023 तक आयोजित किया गया है. अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव 2023 इस वर्ष भारत पर्व का मुख्य आकर्षण है. अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव 2023 का छह दिवसीय कार्यक्रम राज्य की समृद्ध विरासत और विविध प्राकृतिक को बढ़ावा देता है,
Bhagoria by tribes in mp (भगोरिया आदिवासी महोत्सव)
यह झाबुआ, धार, अलीराजपुर और खरगोन जैसे क्षेत्रों में सबसे पुराने त्योहारों में से एक है. मेला होली से ठीक पहले मनाया जाता है जिसमें लोग एक दूसरे को 'गुलाल' लगाते हैं और अपने पारंपरिक जनजातीय धुनों पर नाचते और गाते हैं. युवा आदिवासी लोगों की झलक पाने के लिए त्योहार पर जा सकते हैं, सभी रंग-बिरंगे परिधानों में सजे होते हैं, पारंपरिक वाद्य यंत्र बजाते हैं, गाते हैं और हाट में क्षेत्रीय नृत्य करते हैं. भगोरिया का इससे जुड़ा एक कृषि महत्व है. यह कटाई के मौसम के अंत के साथ शुरू होता है. इसलिए स्थानीय लोग उसी के पूरा होने को चिह्नित करने के लिए त्योहार मनाते हैं.
Fagua in bihar (फगुआ)
बिहार के ग्रामीण इलाकों में फगुआ के बिना होली अधूरी है. भारतीय हिंदी कैलेंडर में फाल्गुन के महीने में होली का त्योहार आता है. रंगों के त्योहार होली पर फाल्गुन महीने में जो गीत गाए जाते हैं उसे ही फगुआ कहते हैं. बिहार में होली के दिन सुबह रंग खेलते हैं और शाम के वक्त अबीर-गुलाल लगाते हैं. कई क्षेत्रों में यह होली अगले दिन भी चलती है जिसे बसीऔरा कहते हैं. रंगों के दौरान या शाम के वक्त भी लोक गीत गाने का दौर चलता रहता है. इसी लोकगीत को फगुआ कहा जाता है. फगुआ की परंपरा बिहार के अलावा झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी है.
Yaosang in Manipur (योसांग)
योसांग, मणिपुर के लोकप्रिय त्योहारों में से एक, फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन होता है और उत्तर-पूर्वी राज्य के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. यह लोक और हिंदू परंपराओं का एक संयोजन है और वसंत में पांच दिनों के लिए मनाया जाता है, जिसका अर्थ है कि यह आमतौर पर फरवरी के अंत या मार्च में मनाया जाता है. मणिपुर में योसांग के दूसरे दिन सार्वजनिक अवकाश रहता है.
Shimgo utsav in Manipur (शिमगो उत्सव)
पिछले 300 वर्षों से, मणिपुर का छोटा उत्तर-पूर्वी राज्य होली उत्सव का एक अनूठा रूप मना रहा है, जिसमें स्थानीय मैथेई लोगों की पुरानी परंपरा, राज्य में प्रमुख समुदाय और वैष्णव शाखा का गहरा प्रभाव शामिल है. क्षेत्र में हिंदुत्व योसांग छह दिनों तक मनाया जाता है, यह पूर्णिमा के दिन शुरू होता है और हिंदू और स्वदेशी परंपराओं को जोड़ता है. त्योहार का मुख्य आकर्षण थाबल चोंगबा है, जो एक मणिपुरी लोक नृत्य है जो इस दौरान किया जाता है. परंपराओं में जोड़ने और एकरूपता बनाए रखने के लिए मणिपुर के हिंदू इस त्योहार को रंगों से भी खेलते हैं.