होली त्योहार है रंगों का उमंग का. इस मौके पर सभी संगी-साथी होली खेलते हैं और एकदूसरे को रंगों से सराबोर करते हैं. साथ ही यह त्योहार आपसी मतभेद को भी मिटाता है. होली के मौके पर जहां हंसी ठिठोली की जाती है, वहीं प्रेम रस भी बरसता है. इस मौके पर पढ़ें कुछ मन को प्रफुल्लित करने वाले शशांक भारद्वाज के दोहे:-
1. पिचकारी से निकले ज्यों प्रीत के रंग
हर राधा चल पड़ी अपने कन्हैया संग
2. गोरी के चेहरे पर उसने जो उड़ाई गुलाल
गोरी का चेहरा और सारा जग भया लाल
3. साजन जी जो बढ़े
ले रंग गोरी की ओर
शर्म -हया सब छूट गई
बरसा सिर्फ प्रेम रंग.
4. गोरी सोच रही
कैसे लगाऊं पिया को रंग
दिल में है उमंग
पर आड़े है शर्म.
5. चहुं ओर होली
चहुं ओर फाग
सब मिलन कर गायें
होरी के राग
6. बच्चे भी उछाल रहे रंगन के फुहार
कन्हैया झूमे के खेले होली सबके द्वार