पटना : क्या आप आफ्टर फिफ्टी यानी कि 40 की उम्र पार कर चुके हैं. आपके घुटनों में दर्द रहता है? दर्द की वजह से रात में नींद नहीं आती? आप इस समस्या के ट्रीटमेंट के लिए कई हॉस्पिटल का चक्कर लगा चुके हैं? आयुर्वेदिक तेल, होम्योपैथ, एलोपैथ की दवाओं का किट बना रखा है कि फलां दवा खाने से दर्द खत्म होता है, तो आप इस भ्रम में न रहें. डॉक्टर्स कहते हैं कि घुटनों की समस्या को लेकर अस्पतालों के चक्कर लगाने वाले मरीज़ों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है. आमतौर पर इसे उम्र से संबंधित बीमारी माना जाता था, क्योंकि पहले 40-50 की उम्र तक आते-आते यह समस्या होती थी, लेकिन आजकल अनियमित लाइफ स्टाइल और ओबेसिटी के कारण युवा वर्ग भी इसकी चपेट में आने लगे हैं.
बिहार की राजधानी पटना स्थित फोर्ड अस्पताल के आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. विनीत विवेक कहते हैं कि घुटनों की समस्या लेकर आने वालों मरीजों में सर्जिकल और नॉन सर्जिकल दोनों होते हैं. नन-सर्जिकल तो दवा और प्रिकॉशन से ठीक हो जाते हैं, लेकिन एडवांस स्टेज पर आने वालों की सर्जरी करनी पड़ती है. इसमें नी रिप्लेसमेंट सर्जरी (घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी)शामिल है. हालांकि इसे लेकर लोगों में अभी भी काफी डर है. लेकिन, सच यह है कि घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी की सफलता का प्रतिशतता 99.9 है. ऐसे में लोगों के मन से इसे लेकर डर निकलना बेहद ज़रूरी है.
तीन तर हसे होती है सर्जरी
डॉ विनीत कहते हैं कि जो मरीज एडवांस स्टेज की घुटनों की समस्या लेकर अस्पताल पहुंचते हैं तो उनकी सर्जरी करनी पड़ती है. लेकिन ऐसा नहीं है कि हर एक मरीज़ घुटना बदल ही दिया जाता है. पेशेंट की बीमारी और स्टेज को देखते हुए उनके लिए उपयुक्त सर्जरी रिकमंड की जाती है. जिसमें एक स्टियो है, दूसरा यूकेआर और तीसरा टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी (पूर्ण घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी). अगर पेशेंट युवा है और एक सिंगल कंपार्टमेंट डिज़ीज़ है तो उसका स्टीयो या यूकेआर किया जाता है. अगर समस्या एडवांस स्टेज में है पेशेंट की उम्र ज़्यादा है तो उन्हें टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की सलाह की जाती है. एडवांस स्टेज के मरीजों के लिए चलना-फिरना मुश्किल होता है और उनके पैरों में टेढ़ापन आ जाता है.
सर्जरी के चलता है मरीज
उन्होंने कहा कि नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के बाद पेशेंट को पूरी तरह रिकवर होने में एक महीने का समय लग जाता है. हालांकि सर्जरी के छह से आठ घंटे के अंदर ही 90 प्रतिशत पेशेंट को चला दिया जाता है. अगले दिन कॉरीडोर में चलाया जाता है और उससे अगले दिन टॉयलेट की ट्रनिंग दी जाती है. अस्पताल से 3-4 दिन में छुट्टी दे दी जाती है. लगभग एक महीने के भीतर मरीज़ पूरी तरह रिकवर हो जाता है.
दोनों घुटनों का की सर्जरी संभव
उन्होंने कहा कि दोनों पैरों के घुटनों की सर्जरी एक साथ भी हो सकती है या एक-एक कर के भी. यह पूरी तरह मरीज़ के फ़िज़िकल फिटनेस और उसकी च्वाईस पर निर्भर होती है. अगर मरीज़ तैयार है और फिट भी है तो एक ही सिंटिग में दोनों घुटनों की सर्जरी कर दी जाती है. लेकिन अगर मरीज़ एडवांस एज में है. 75 के ऊपर है तो फिर और फिट नहीं है तो एक समय में एक घूटने की सर्जरी सेफ रहता है. एक साईड की सर्जरी में तकरीबन एक घंटे का समय लगता है. लेकिन ऑपरेशन की तैयारी में भी समय लगता है.
नी सरफेसिंग सर्जरी
उन्होंने कहा कि नी रिप्लेसमेंट के बाद जो नी लगता है वह आर्टिफीशियल नी होता है. लेकिन देखिए इसे आर्टिफिशियल नी कह सकते हैं. इसको हम नी रिप्लेसमेंट की जगह नी सरफेसिंग सर्जरी कह सकते हैं. असल में क्या होता है कि कार्टीलेज्स घिस जाते हैं और जिसकी रिपेयरिंग शरीर नहीं कर पाता है. उन्हीं परत को हटा कर इस सर्जरी में उस पर नया कैप कर दिया जाता है. यह बिल्कुल उसी तरह है जैसे डेंटिस्ट दांत के ऊपर कैप लगाते हैं. वैसे ही यह कैपिंग है.