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Premature Baby के लिए मां का दूध खतरनाक, घट सकती है बच्चों की इम्यूनिटी, लंबे समय बाद दिख सकते हैं हानिकारक परिणाम

Health News, Breastfeeding, Premature Baby study finds antibiotics affect breast milk microbiota in mothers : हाल में हुए एक शोध के मुताबिक शोधकर्ताओं की टीम ने पाया है कि प्रीटरम या प्री-मेच्योर शिशुओं की माताओं के दूध में माइक्रोबायोम की मात्रा अत्यधिक पायी जाती है. यहां तक कि एंटीबायोटिक्स के डोज भी उनके दूध में रोग फैलाने वाले जीवाणुओं को विकसित कर देते हैं. जिसके लंबे समय के बाद शिशुओं में हानिकारक प्रभाव पड़ सकते हैं.

Health News, Breastfeeding, Premature Baby, antibiotics affect breast milk microbiota in mothers : हाल में हुए एक शोध के मुताबिक शोधकर्ताओं की टीम ने पाया है कि प्रीटरम या प्री-मेच्योर शिशुओं की माताओं के दूध में माइक्रोबायोम की मात्रा अत्यधिक पायी जाती है. यहां तक कि एंटीबायोटिक्स के डोज भी उनके दूध में रोग फैलाने वाले जीवाणुओं को विकसित कर देते हैं. जिसके लंबे समय के बाद शिशुओं में हानिकारक प्रभाव पड़ सकते हैं.

आपको बता दें कि यह शोध टोरंटो विश्वविद्यालय और द हॉस्पिटल फॉर सिक चिल्ड्रन के शोधकर्ताओं द्वारा की गई है. अंग्रेजी वेबसाइट ईटी में छपी रिपोर्ट के मुताबिक उनके नेतृत्व में हुए इस अध्ययन को हाल ही में सेल होस्ट एंड माइक्रोब पत्रिका में प्रकाशित किया गया था.

प्रीटरम शिशुओं की माताओं के स्तन दूध से माइक्रोबायोटा प्रभावित होता है. जिससे कई नवजात शिशुओं में विकास और रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होने की प्रबल संभावना हो जाती है.

एक वरिष्ठ पोषण विज्ञान के प्रोफेसर, डेबराह ओ कॉनर की मानें तो यह उनके लिए भी हैरान करने वाली बात है. शोध में पाया गया है कि एंटीबायोटिक दवाओं के एक दिन के इस्तेमाल से भी इसका खतरा बढ़ सकता है. वहीं, SickKids के सहयोगी वैज्ञानिकों की मानें तो एंटीबायोटिक्स प्रीटरम शिशुओं, और माताओं के लिए एक आवश्यक उपचार हैं. शोध को एक बार फिर देखने की जरूरत है.

जबकि, ओ कॉनर की मानें तो अभी तक नवजात शिशु की विशेष देखभाल की जाती थी. लेकिन, वर्तमान अध्ययन से यही पता चलता है कि नवजात के साथ-साथ माताओं का भी ध्यान रखने की जरूरत है.

कैसे हुआ शोध

आपको बता दें कि शोधकर्ताओं ने कुल 86 माताओं से 490 स्तन दूध नमूने लिए. इनमें आमतौर पर वैसी माताएं शामिल थीं, जिन्होंने प्रीटरम शिशुओं को जन्मा था और उनके प्रसव को हुए आठ हफ्तों से ज्यादा नहीं हुए थे. उन्होंने पाया कि माताओं के बॉडी मास इंडेक्स और डिलीवरी के तरीके ने स्तन के दूध माइक्रोबायोटा को प्रभावित किया है. जबकि, आम तरीके से पैदा हुए बच्चों की माताओं में ऐसे कोई लक्षण नहीं दिखे थे.

आपको बता दें कि एंटीबायोटिक आमतौर पर आंतों की स्वास्थ्य और मेटॉबोलिजम को बढ़ाने व अन्य रोगों में उपयोगी है. इससे शिशुओं का सही विकास होता है. लेकिन, नये शोध से मालूम चलता है कि इसके दीर्घकालिक परिणाम प्रीटरम शिशुओं को देखने को मिल सकते हैं.

ओ कोनोर की प्रयोगशाला में कार्यरत एक डॉक्टरेट छात्र मिशेल असबरी की मानें तो इस शोध में उन्हानें पाया कि मेटाबॉलिजम में कमी देखी गयी. वहीं, समय के साथ ये बैक्टीरिया अधिक रोगजनक हो गए और इनमें भी वृद्धि देखी गयी.

उन्होंने बताया कि लगभग सात प्रतिशत बच्चे जन्म से पहले आंत्रशोथ के साथ-साथ नेक्रोटाइज़िंग एंटरकोलिटिस का विकास करते हैं. जिसे आंत के एक हिस्से में एक घातक स्थिति मानी गयी है. ऐसा पाया गया है कि सेफलोस्पोरिन नामक एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन से स्तन के दूध में माइक्रोबायोटा प्रभावित होती है.

हालांकि, इस मामले में एक और विशेषज्ञ का कहना है कि अभी इस बात का अंदाजा लगाना बहुत जल्दबाजी होगी कि प्रीटरम शिशु की माताओं के दूध माइक्रोबायोम में परिवर्तन वास्तव में जोखिम को बढ़ाते है या शिशुओं के लिए लाभकारी है.

Note : उपरोक्त जानकारियां अंग्रेजी वेबसाइट ईटी से ली गयी है. इसे छोड़ने या अपनाने से पहले इस मामले के जानकार डॉक्टर या डाइटीशियन से जरूर सलाह ले लें.

Posted By : Sumit Kumar Verma

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