फ़िल्म -गुलमोहर
निर्देशक -राहुल चित्तेला
कलाकर -मनोज बाजपेयी, शर्मिला टैगोर, सिमरन, अमोल पालेकर, सूरज शर्मा, कावेरी सेठ, उत्सव झा, चंदन रॉय, जतिन गोस्वामी, गंधर्व दीवान और अन्य
प्लेटफार्म -डिज्नी हॉटस्टार
रेटिंग -तीन
पारिवारिक फिल्में हमेशा से ही हर दौर की पसंद रही है. परिवार के सदस्यों के बीच आपसी मनमुटाव और तनाव की कहानियां नयी नहीं हैं, जिसमें देर-सवेर सभी को आसानी से माफ भी कर दिया जाता है. पारिवारिक फिल्मों की कहानी लगभग एक जैसी ही होती है, लेकिन निर्देशक राहुल चित्तेला की तारीफ करनी होगी. उन्होंने रिश्तों की इस उलझी कहानी में अपनेपन और परिवार की एक नयी परिभाषा गढ़ने की कोशिश की है, जो इंसानी रिश्तों के अपनेपन की इस कहानी को बेहद खास बना गया है.
चारदीवारी के अंदर बिखरे घर की कहानी
दिल्ली के मध्य में स्थित एक पॉश इलाके के बंगले गुलमोहर में 34 साल तक रहने के बाद, बत्रा परिवार अब एकल परिवार के तौर पर जल्द ही अपनी नयी जड़े ढ़ूढ़ने जा रहा है. कुसुम (शर्मीला टैगोर) अपने बेटे अरुण (मनोज बाजपेयी) से अलग पुदुचेरी में रहने वाली हैं. वह अपनी आगे की जिंदगी अपने तरीके से जीना चाहती हैं और अरुण का बेटा आदित्य (सूरज शर्मा) भी अपने पिता के साथ नहीं रहना चाहता है. उसे अपने पिता से अपने कैरियर की नाकमयाबी को लेकर शिकायत है. अरुण जिंदगी के बदलाव को समझ नहीं पा रहा है. गुलमोहर की छत के नीचे एक साथ रहने वाले इस परिवार के रिश्तों में जबरदस्त बिखराव है. अरुण के चाचा (अमोल पालेकर) का परिवार भी इसका हिस्सा है. बत्रा परिवार के हर सदस्य की अपनी कहानी है. सभी जिंदगी की कशमकश से जूझ रहे हैं. सभी की अपनी बेचैनी, अपनी परेशानियां हैं, जो वो परिवार के दूसरे सदस्य को मान रहे हैं. परिवार अब बस गुलमोहर से निकल कर अलग-अलग राहों को चुनने ही वाला है. ऐसे में कुसुम पूरे परिवार को आखिरी होली एक साथ गुलमोहर में ही मनाने को कहती है, जिसके लिए पूरा परिवार गुलमोहर में चार दिनों तक एक साथ रहता है और ये आखिरी चार दिन में अरुण का सामना ऐसे सच से होता है, जो बत्रा परिवार की नींव को ही हिला देता है, क्या है ये सच और क्या इससे ये परिवार अब और आसानी से बिखर जाएगा. यही आगे की कहानी है. जिसके लिए आपको ये फिल्म देखनी होगी.
स्क्रिप्ट की खूबियां और खामियां
फिल्म की कहानी और उसका ट्रीटमेंट ऐसा है कि फिल्म के शुरू होने के साथ ही आप इससे जुड़ाव महसूस करने लगते हैं. फिल्म की कहानी में एक अहम ट्विस्ट है. उसे सपोर्ट देने के लिए बहुत ही दिलचस्प सब प्लॉट्स कहानी के साथ जोड़े गए हैं. नौकर नौकरानी के प्रेम वाला ट्रैक हो या कुसुम और उसकी पोती का दिलचस्प ट्रैक कहानी को एक नया आयाम देता है. फिल्म पारिवारिक है, लेकिन यहां परिवार को लेकर कोई भी भाषणबाजी नहीं की है. यह फिल्म इंसानी रिश्तों की गहरी बात कहती है. क्या परिवार हमेशा खून से बंधा होता है? इसके अलावा कई और दूसरे पहलुओं पर भी फोकस करती है. अपने सच को स्वीकारने की बात भी रखती है, फिर चाहे अपने प्यार को लेकर हो या सेक्सुआलिटी को लेकर. नयी पीढ़ी को समझने की जिम्मेदारी पुरानी पीढ़ी को ज्यादा लेनी पड़ेगी. फिल्म अपने दृश्यों में ये बात भी सामने लाती है. इसके अलावा अमीर-गरीब के बीच का भेदभाव और दकियानुसी सोच पर भी फिल्म बखूबी चोट करती है. खामियों की बात करें, तो फिल्म की रफ्तार थोड़ी धीमी है. फिल्म के कुछ सब प्लॉट्स और किरदारों के साथ उस तरह से न्याय नहीं किया गया है, जैसा कि उम्मीद थी. उदाहरण के तौर पर समलैंगिक का किरदार का ट्रैक. उसे जल्दीबाजी में आखिर में ट्रीट कर दिया गया है. इसकी वजह ये भी हो सकती है कि फिल्म में ढ़ेर सारे पात्र हैं और उनसे जुड़ी कहानियां भी, जो थोड़ा फिल्म के प्रभाव को कम कर गए हैं.
शानदार शर्मीला टैगोर और मैजिकल मनोज बाजपेयी
अभिनय की बात करें, तो इस फिल्म से शर्मिला टैगोर एक अरसे बाद स्क्रीन पर लौटी हैं और परदे पर एक बार फिर वह अपने अभिनय का जादू बिखेर गयी हैं. फिल्म के कुछ कॉम्प्लेक्स दृश्यों को जिस सहजता से उन्होंने जिया है. वह उनका मुरीद बना जाता है. मनोज बाजपेयी हमेशा की तरह एक बार फिर से अपने अभिनय के मैजिक से चकित कर जाते हैं. यह फिल्म उनके अभिनय के क्षमता को बखूबी प्रदर्शित करती है. पिता, पुत्र तो कभी पति के रूप में, अभिनेत्री सिमरन भी उम्दा रही हैं. हिंदी फिल्मों में उन्हें और मौके दिए जाने चाहिए. जतिन गोस्वामी भी अपनी उपस्थिति दर्शाने में कामयाब रहे हैं. अमोल पालेकर के साथ बाकी के कलाकारों ने भी अपने किरदार के साथ बखूबी न्याय किया है.
तकनीकी पक्ष भी है खास
फिल्म की सिनेमाटोग्राफी कहानी के अनुरूप हैं. जबकि संवाद उम्दा बने हैं. वह फिल्म और उससे जुड़े मकसद को और प्रभावी बनाते हैं. यही बात फिल्म के गीत-संगीत के लिए भी कहीं जा सकती है.
देखें या ना देखें
यह फिल्म ऐसी है, जिसे पूरे परिवार के साथ देखी जानी चाहिए.