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Hungama 2 Review : हंगामा नहीं हुआ बल्कि एंटरटेनमेंट के नाम रायता फैल गया है, पढ़ें पूरा रिव्यू

Hungama 2 Review:साल 2000 में आयी फिल्म हेरा फेरी से उन्होंने हिंदी फिल्मों में कॉमेडी का नया ट्रेंड ही शुरू कर दिया था. इस सुपरहिट फार्मूले के तहत फ़िल्म हंगामा को भी जबरदस्त कामयाबी मिली थी. हिंदी फिल्मों से लगभग आठ सालों से दूर प्रियदर्शन की हंगामा 2 उनकी मलयालम फ़िल्म मिन्नारम का हिंदी रीमेक है.

फ़िल्म – हंगामा 2

निर्देशक- प्रियदर्शन

कलाकार- मिजान जाफरी, प्रणीता सुभाष,आशुतोष राणा,शिल्पा शेट्टी,परेश रावल, राजपाल यादव,जॉनी लीवर,अक्षय खन्ना और अन्य

प्लेटफार्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार

रेटिंग-एक

निर्देशन प्रियदर्शन अपनी कंफ्यूजन वाली कॉमेडी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं. साल 2000 में आयी फिल्म हेरा फेरी से उन्होंने हिंदी फिल्मों में कॉमेडी का नया ट्रेंड ही शुरू कर दिया था. इस सुपरहिट फार्मूले के तहत फ़िल्म हंगामा को भी जबरदस्त कामयाबी मिली थी. हिंदी फिल्मों से लगभग आठ सालों से दूर प्रियदर्शन की हंगामा 2 उनकी मलयालम की सुपरहिट फ़िल्म मिन्नारम का हिंदी रीमेक है. हंगामा 2 में कंफ्यूजन वाली कॉमेडी के नाम पर जो कुछ भी हो रहा है. उससे हंसी नहीं बल्कि सर में दर्द होने लगता है. हंगामा 2 ,हंगामा और मिन्नारम दोनों के नाम पर बट्टा लगा रही है। ये कहना गलत ना होगा.

कहानी पर आए तो एकदम घिसी पिटी है लेकिन बात करनी ही पड़ेगी. फ़िल्म में दो ट्रैक साथ साथ चलते हैं. पहला ट्रैक वाणी (प्रणीता सुभाष ) एक बेटी को लेकर आयी है जिसका पिता वो आकाश ( मिजान) को बताती है. आकाश को इससे इनकार है. दूसरा ट्रैक ये है कि अंजली ( शिल्पा शेट्टी) फ़िल्म में मिजान की मदद कर रही हैं. चूंकि कहानी में कंफ्यूजन है तो अंजलि के पति तिवारी (परेश रावल)को लगता है कि अंजलि और आकाश के बीच अवैध संबंध है. फ़िल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले बहुत कमजोर है. जिससे कहानी में औंधे मुंह शुरुआत से ही गिर गयी है. रही सही कसर फ़िल्म की लंबाई कर जाती है. ढाई घंटे फ़िल्म की अवधि है. जो किसी टॉर्चर से कम नहीं है.

बीते कुछ सालों में कॉमेडी का अंदाज़ बदला है. लेकिन प्रियदर्शन की ये हंगामा 2 90 के आखिर और 2000 के शुरुआत वाली फिल्मों की तरह लगती है. जिस वजह से फ़िल्म की रफ्तार और मेकिंग पुरानी सी है. फ़िल्म में किरदार मोबाइल से नहीं लैंडलाइन से बात कर रहे हैं. टेप रिकॉर्डर का इस्तेमाल हो रहा है. प्रियदर्शन लगता है भूल गए थे कि वे आज के दर्शकों के लिए फ़िल्म बना रहे थे.

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प्रियदर्शन की पहचान सिचुएशनल कॉमेडी रही है लेकिन इस बार हंसी के सिचुएशन जबरदस्ती ठूंसे हुए है. जिससे कोशिश करने के बावजूद भी किसी सीन में हंसी नहीं आती है. फ़िल्म में हँसाने के नाम पर एक्टर्स ज़ोर ज़ोर से कई सीक्वेंस में चीख चिल्ला भी रहे हैं.

फ़िल्म की स्टारकास्ट की बात करें तो अभिनय के कई मंझे हुए नाम हैं. परेश रावल, टिकू तसलानिया, जॉनी लीवर,राजपाल यादव, आशुतोष राणा,मनोज जोशी लेकिन कमज़ोर कहानी,स्क्रीनप्ले और सरदर्द संवाद ने किसी भी एक्टर को परफॉर्म करने का मौका नहीं दिया है. परेश रावल जैसे कॉमेडी के दिग्गज एक्टर की परफॉरमेंस देखकर भी हंसी नहीं आती है. सोचिए फ़िल्म की परेशानी कितनी बड़ी है.

मिजान और प्रणीता सुभाष ने भी निराश किया है. फ़िल्म के दो दृश्यों में अभिनेता अक्षय खन्ना भी नज़र आए हैं. यह फ़िल्म शिल्पा शेट्टी की कमबैक फ़िल्म करार दी जा रही थी लेकिन फ़िल्म में शिल्पा की एंट्री आधे घंटे बाद होती है. फ़िल्म में उनका किरदार ज़्यादा महत्वपूर्ण भी नहीं है. वे सीमित स्क्रीन स्पेस में ही नज़र आयी है.

फ़िल्म का गीत संगीत भी बहुत निराशाजनक है. फ़िल्म आखिरी गाना हंगामा हो गया थोड़ा याद रह जाता है शायद इसलिए कि फ़िल्म आखिर खत्म हो गयी इस बात की खुशी होती है. कुलमिलाकर हंगामा हो गया नहीं बल्कि रायता फैल गया फ़िल्म को देखकर ये लाइन याद आती है. इस फ़िल्म से दूर रहने में ही भलाई है.

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