चेन्नई : सेंसर बोर्ड के सदस्यों के सुझाव पर अमल हुआ, तो तो टीवी पर जल्द ही एडल्ट कंटेंट के लिए अलग से समय निर्धारित होगा. केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव बिमल जुल्का से भेंट में बोर्ड सदस्यों ने स्पेशल स्लॉट की शुरुआत की मांग की.
बोर्ड के एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि अभी टीवी पर प्रदर्शित होने से पहले एडल्ट फिल्में सेंसर बोर्ड के पास फिर से सिर्टफिकेशन के लिए आती है. टीवी पर यू और यूए सिर्टिफिकेटवाली फिल्में ही दिखायी जाती हैं. इसके चलते एडल्ट फिल्मों से आपत्तिजनक सीन को हटाना पड़ता है. हमने सुझाव दिया है कि मंत्रालय ऐसी फिल्मों के लिए देर रात में समय निर्धारित करे. हालांकि, उन्होंने कहा कि इस प्रक्रि या में अभी काफी समय लग सकता है.
सेंसर बोर्ड के प्रवक्ता और स्क्रीनराइटर अंजुम राजबाली के अनुसार, सेंसर सदस्यों ने कई और सुझाव दिये हैं. इसके तहत फिल्मों के सर्टिफिकेशन में कई बड़े बदलाव किये जा सकते हैं. इन सुझावों में से एक है सिनेमेटोग्राफ एक्ट 1952 में सुधार है. बोर्ड सदस्यों का मानना है कि यह काफी पुरातनपंथी और बोर्ड की आजादी को रोकता है.
* दो तिहाई सदस्यों का समर्थन जरूरी
सर्टिफिकेशन नियमों के तहत एडवाइजरी पैनल के दो-तिहाई सदस्यों के समर्थन पर ही चेयरपर्सन और बोर्ड प्रस्ताव भेज सकता है. सेंसर बोर्ड चेयरपर्सन लीला सैमसन ने कहा, हमने मंत्रालय से सुझावों को गंभीरता से लेने का अनुरोध किया, जिससे हम सिनेमा सर्टिफिकेट में और सुधार कर सकें. बोर्ड के सदस्यों ने पिछले साल दिये सर्टिफिकेशन की नयी श्रेणियों के सुझाव पर गौर करने की मांग की. अभी केवल तीन श्रेणियां हैं. यू-यूनिवर्सल, यूए-उन फिल्मों को, जिनमें थोड़े एडल्ट कंटेंट होते है, ए केवल एडल्टस के लिए.
* सेंसर बोर्ड में निपुण लोग हों
चेन्नई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में कमल हासन ने कहा था कि सेंसर बोर्ड को पुनर्मूल्यांकन की जरूरत है. सेंसर बोर्ड की जूरी में वे लोग हैं, जो सिनेमा में रुचि रखते हैं. सिनेमा में रुचि रखना व फिल्म को सेंसर करने के काबिल होना, अलग-अलग बातें हैं.