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“फिल्मों की शो पीस नहीं रही महिलाएं” : माधुरी

बॉलीवुड अभिनेत्री माधुरी दीक्षित ‘डेढ़ इश्किया’ में एक नए अवतार में नजर आने वाली हैं. माधुरी महिला किरदारों को मजबूत बनाने के लिए भारतीय सिनेमा का शुक्रिया अदा करती हैं. माधुरी दीक्षित का कहना है कि उनके समय में महिलाओं के लिए इतने मजबूत किरदार नहीं लिखे जाते थे. उस समय महिलाओं को फिल्मों में […]

बॉलीवुड अभिनेत्री माधुरी दीक्षित ‘डेढ़ इश्किया’ में एक नए अवतार में नजर आने वाली हैं. माधुरी महिला किरदारों को मजबूत बनाने के लिए भारतीय सिनेमा का शुक्रिया अदा करती हैं.

माधुरी दीक्षित का कहना है कि उनके समय में महिलाओं के लिए इतने मजबूत किरदार नहीं लिखे जाते थे. उस समय महिलाओं को फिल्मों में एक शोपीस की तरह यूज किया जाता था. लेकिन आज महिलाओं को काफी अच्छे किरदार दिये जाते हैं. और उन्हें सशक्त रुप में दिखाया जाता है. माधुरी ने डेढ़ इश्किया में अपने किरदार के बारे में बात करते हुए कहा कि फिल्म में बेगम पारा का किरदार बहुत ही महत्वपूर्ण और काफी मजबूत है.

माधुरी से पूछा गया कि आप ‘डेढ़ इश्किया’ के किरदार में सहज कैसे रहीं? माधुरी ने कहा, ‘किरदार में जितनी अधिक गहराई होती है आपको प्रदर्शन करने में उतना ही मजा आता है.’ उन्होंने कहा, ‘मैं शुक्रगुजार हूं कि हमारे सिनेमा ने लंबा सफर तय किया है और मुझे खुशी है कि महिलाएं फिल्मों में चरित्र निभा रही हैं और सिर्फ दिखावटी चीज नहीं रही हैं.’

माधुरी ने 1980 के दशक के अंत में अभिनय की शुरुआत करके 90 के दशक में ‘तेजाब’, ‘दिल’ और ‘साजन’ ‘दिल तो पागल है’ जैसी धमाकेदार फिल्में दी. माधुरी को ‘प्रहार’ और ‘मृत्युदंड’ जैसी गैरपरंपरागत फिल्मों के लिए भी जाना जाता है. 1999 में अमेरिका में चिकित्सक श्रीराम नेने से शादी के बाद माधुरी डेनवर में रहने लगीं. उनकी आखिरी बड़ी सफल फिल्म ‘देवदास’ थी.

2007 में ‘आ जा नचले’ के साथ उन्होंने बॉक्स ऑफिस पर अपनी वापसी की. वह नृत्य रियलिटी शो ‘झलक दिखला जा’ के चौथे और पांचवें सत्र की निर्णायक रहीं. फिर उन्हें ‘डेढ़ इश्किया’ और ‘गुलाब गैंग’ फिल्में मिल गईं. बीच में उन्होंने ‘ये जवानी है दीवानी’ के ‘घाघरा’ गाने में भी अपनी खास उपस्थिति दर्ज कराई. ‘डेढ़ इश्किया’ निश्चित तौर पर माधुरी की बड़ी छलांग है.

माधुरी कहती हैं, ‘इस समय महिलाओं का उद्योग में होना उनका अच्छा समय है. जब उन्होंने मुझे पटकथा सुनाई, मैं बहुत उत्सुक थी. यह वह भूमिका है, जिसने मुझसे अपील की है.’ उन्होंने बताया, ‘बेगम पारा अभिषेक का लिखा खूबसूरत किरदार है. वह कवयित्री हैं. वह विधवा है और उसके दिवंगत पति की इच्छा थी वह दोबारा शादी करे, उसे एक कवि से शादी करनी चाहिए.’

उन्होंने बताया, ‘इसलिए वह हर साल अपने लिए स्वयंवर रचाती है. वह दो साल तक किसी से प्रभावित नहीं होती, लेकिन तीसरे साल बब्बन (अरशद) आता है.’

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