मुंबई: आज अपना 71वां जन्मदिन मना रहे मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने कहा कि उनकी ख्वाहिश है कि उनका आने वाला हर दिन कुछ चुनौतीपूर्ण हो और उनके शरीर में जब तक ताकत हो वह काम करते रहें.चार दशक से अधिक समय के अपने कैरियर के दौरान 150 से अधिक फिल्मों में काम करने वाले बच्चन बड़े पर्दे के साथ-साथ टीवी के जरिए अपने लाखों प्रशंसकों के दिलों पर लगातार राज कर रहे हैं.
परिवार की ‘सबसे छोटी’ सदस्य (अराध्या) ने उनके लिए पहली बार ‘हैप्पी बर्थडे’ गाया. इन्हीं छोटे-छोटे लम्हों से किसी का जन्मदिन खास बनता है. इनके बाद बड़े लम्हें आते हैं.’’बाद में मीडिया के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि वह लगातार काम करते रहेंगे.
सौर पैनलों के जरिए 3000 परिवारों को मुफ्त में बिजली मुहैया कराने के लिए अपने पिता हरिवंश राय बच्चन के नाम पर एक धर्मार्थ योजना की शुरुआत करते हुए बच्चन ने कहा ‘‘मेरी ख्वाहिश है कि हर दिन कुछ चुनौतीपूर्ण सामने आए…मैं तब तक काम करता रहूंगा तब तक मेरे शरीर में ताकत है.’’ अपने ब्लॉग पर बच्चन ने लिखा है कि उन्हें लगता है कि पहले के मुकाबले अब समय ज्यादा तेजी से भाग रहा है.
सचिन तेंदुलकर के संन्यास पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि वे महान खिलाडी हैं और उनके बारे में बोलने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं. उनके संन्यास की खबर सुनकर ऐसा प्रतीत हुआ मानो हृदयगति थम गयी हो.सदी के महानायक अमिताभ बच्चन आज पूरे 71 वर्ष को हो गए हैं. इस उम्र में भी वो पूरी गर्मजोशी से परदे पर अपने किरदार को निभाते हैं.
1969 में पहली फिल्म ‘सात हिंदुस्तानी’ करने के बाद उन्होंने ‘परवाना’, ‘रेशमा’ ‘शेरा’, ‘गुड्डी’ और ‘बांबे टू गोवा’ जैसी एक के बाद एक असफल फिल्में रहीं .इन फिल्मों से वह दर्शकों को खुश नहीं कर पाए.अमिताभ को पहली बड़ी पहचान 1971 में ऋषिकेश मुखर्जी के निर्देशन में बनी फिल्म ‘आनंद’ से मिली. ‘आनंद’ में अमिताभ द्वारा निभाई गई सहायक भूमिका ने उन्हें पहला फिल्म फेयर पुरस्कार मिला.
अमिताभ को लेकिन बतौर अभिनेता देश की जनता ने 1973 की फिल्म ‘जंजीर’ में उनके गुस्सैल छवि वाले किरदार से पहचाना. आज बॉलीवुड और अभिनय का पर्याय बन चुके अमिताभ को ‘जंजीर’ ने ही स्टारडम के साथ एंग्री यंगमैन का तमगा भी दिलाया. इसके बाद तो एक के बाद एक अमिताभ ने ‘मर्द’, ‘शोले’, ‘कुली’, ‘लावारिस’ जैसी कई सुपरहिट फिल्मों से एंग्री यंग मैन के रूप में अपनी पहचान स्थापित कर ली.
सफलता की दौड़ के बीच उनके जीवन में वो पल भी आया जब ‘कुली’ फिल्म की शूटिंग में हुए भयानक दुर्घटना ने उनकी रफ्तार रोक दी. उनके स्वस्थ होकर घर आने की उम्मीद कम थी, लेकिन प्रशंसकों की उम्मीद के बीच कई महीने बाद वो स्वस्थ हो कर घर लौटे.
अमिताभ ने इसके बाद कुछ वर्षो के लिए अभिनय से अवकाश ले लिया और अपने मित्र राजीव गांधी की पहल पर राजनीति में किस्मत आजमाई. उन्हें सफलता भी मिली और इलाहाबाद सीट से उन्होंने एच. एन. बहुगुणा के खिलाफ रिकार्ड अंतर से जीत हासिल की. लेकिन राजनीति उन्हें ज्यादा दिन तक रास नहीं आई और इसकी वजह बना बोफोर्स कांड में उनका नाम उछाला जाना. उन्हें न्यायालय ने हालांकि क्लीन चिट दे दी, लेकिन उन्होंने राजनीति को गंदी नाली करार देकर इससे किनारा कर लिया.
इसके बाद अमिताभ ने ‘शहंशाह’ फिल्म से वापसी की. ये फिल्म सफल रही, लेकिन आने वाली फिल्मों के औंधे मुंह बॉक्स आफिस पर गिर जाने पर उनकी शोहरत कम होने लगी. उन्होंने फिल्म निर्माण कंपनी ‘एबीसीएल’ भी खोली लेकिन इसमें भी उनकी किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया.इधर, पांच साल के अवकाश के बाद अमिताभ ने अपनी वास्तविक उम्र का आभास करते हुए यश चोपड़ा की फिल्म ‘मोहब्बतें’ से फिर वापसी की. गुरुकुल के शिक्षक की भूमिका से अमिताभ ने नई पारी शुरू की और उनकी नई पारी ने उनके लिए सफलता और शोहरत के दरवाजे फिर खोल दिए.
अमिताभ का करियर 70-80 के दशक में उफान पर रहा और उन्होंने बॉलीवुड पर एकछत्र राज किया. अमिताभ के करियर के पूर्वार्ध में दर्शकों ने जहां उन्हें ‘जंजीर’, ‘नमकहलाल’, ‘शोले’, ‘कूली’, ‘सुहाग’, ‘अभिमान’, ‘सिलसिला’, ‘मिली’, ‘मिस्टर नटवर लाल’, ‘द ग्रेट गैंबलर’, ‘अग्निपथ’, ‘चुपके-चुपके’, ‘लावारिस’ में पसंद किया वहीं ‘मोहब्बते’, ‘ब्लैक’, ‘बंटी और बबली’, ‘कभी खुशी कभी गम’, ‘देव’, ‘सरकार’, ‘सरकार राज’, ‘आरक्षण’, ‘सत्याग्रह’ जैसी अनगिनत बेहतरीन फिल्में उनकी दूसरी पारी का इंतजार कर रहे थे.
आज बाजार का ब्रांड बन चुके अमिताभ की दूसरी पारी में शोहरत दिलाने का श्रेय गेम शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ को भी काफी हद तक जाता है. इस शो में मेजबान की भूमिका ने उन्हें हर भारतीय से दोबारा जोड़ने में मदद की और बेशक इसका फायदा उनकी फिल्मों को भी मिला. अमिताभ ने जीवन के सातवें दशक में हॉलीवुड में कदम रखा, और उनकी पहली फिल्म ‘द ग्रेट गैट्सबाय’ हाल ही में प्रदर्शित हुई है.