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अपनी फिल्मों में छिपी हुई भावनाओं को दिखाना चाहता हूं: अनुराग कश्यप

नयी दिल्ली : जीवन की कड़वी सच्चाइयों से जुडी फिल्में बनाने के लिए मशहूर निर्माता-निर्देशक अनुराग कश्यप का कहना है कि वह इस तरह की भावनाएं पर्दे पर दिखाते हैं क्योंकि आमतौर पर लोग असल जिंदगी में इनका सामना नहीं करना चाहते. ‘ब्लैक फ्राइडे’, ‘देव डी, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ के निर्देशक को लगता है कि […]

नयी दिल्ली : जीवन की कड़वी सच्चाइयों से जुडी फिल्में बनाने के लिए मशहूर निर्माता-निर्देशक अनुराग कश्यप का कहना है कि वह इस तरह की भावनाएं पर्दे पर दिखाते हैं क्योंकि आमतौर पर लोग असल जिंदगी में इनका सामना नहीं करना चाहते. ‘ब्लैक फ्राइडे’, ‘देव डी, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ के निर्देशक को लगता है कि वर्तमान समाज कपटी बन गया है.

उन्होंने कहा,’ मैं इन भावनात्मक चीजों से आकर्षित होता हूं जिनका हम आम तौर पर सामना नहीं करना चाहते. हमें अपना पाखंड खुद ही नहीं समझ आता. अब हर चीज के लिए बडी प्रतिक्रिया होती है. पहला कोई आक्रोश होता है फिर इसे गलत साबित करने पर हम चुप हो जाते हैं, फिर कोई दूसरा आक्रोश शुरु होता है.’

अपने बेपरवाह रवैये और फिल्म इंडस्टरी को लेकर अपनी बेबाक राय की वजह से अकसर विवादों में रहने वाले कश्यप ने कहा कि वह एक विद्रोही नहीं हैं और उनका आक्रामक रवैया खुद को बचाने का एक रास्ता है. उन्होंने कहा,’ लोग मुझे विद्रोही के तौर पर देखते हैं लेकिन मैं विद्रोही नहीं हूं. मैं जिस चीज में भी विश्वास करता हूं, उसे बचाने के लिए लडता हूं. कई बार यह लहर के विपरीत होता है. यह एक चल रही लडाई है और ऐसा मेरे करियर की शुरुआत से ही रहा है.’

कश्यप ने ऑस्कर पुरस्कारों के लिए भारत की प्रवृष्टि के रुप में ‘द लंचबॉक्स’ के ना चुने जाने पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी और इसके बाद शुरु हुए विवाद के दौरान अपना ट्विटर अकाउंट बंद कर दिया था. उन्होंने इस मुद्दे पर कहा,’ ट्विटर पर कुछ भी कह देना आसान होता है. हर कोई दूसरे पर हमले के लिए तैयार रहता है. लोग सच्चाई तलाशे बिना आपको निशाना बनाते हैं. पहले लोग जांच करते थे और फिर प्रतिक्रिया देते थे। अब प्रतिक्रिया पहले आती है. इसलिए मैंने अपना ट्विटर अकाउंट बंद कर दिया.’

अब कश्यप अपनी नई फिल्म ‘अग्ली’ में धूम्रपान विरोधी चेतावनी दिखाने के खिलाफ लडाई लड रहे हैं. फिल्मकार का कहना है कि सरकार अगर धूम्रपान पर रोक लगाना चाहती है तो उसे फिल्मों के माध्यम से प्रभावहीन संदेश का प्रसार करने की बजाए तंबाकू उद्योग का नियमन करना चाहिए.

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