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‘देख तमाशा देख’ की कल्पना ‘गांधी माय फादर’ से पहले की थी-फिरोज

नयी दिल्ली: चुनावों की सरगर्मी के बीच निर्देशक फिरोज अब्बास खान अपनी ‘देख तमाशा देख’ लेकर हाजिर हैं. उनकी यह फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित एक राजनीतिक व्यंग्य है. फिरोज ने कई साल पहले ‘गांधी माय फादर’ से अपने करियर की शुरुआत की थी, जिसे काफी सराहा गया था. साक्षात्कार में फिरोज ने कहा, ‘‘इस […]

नयी दिल्ली: चुनावों की सरगर्मी के बीच निर्देशक फिरोज अब्बास खान अपनी ‘देख तमाशा देख’ लेकर हाजिर हैं. उनकी यह फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित एक राजनीतिक व्यंग्य है. फिरोज ने कई साल पहले ‘गांधी माय फादर’ से अपने करियर की शुरुआत की थी, जिसे काफी सराहा गया था.

साक्षात्कार में फिरोज ने कहा, ‘‘इस फिल्म में दिखायी गयी घटनाएं सच्ची हैं. कई साल पहले मुझे एक अवकाशप्राप्त पुलिस आयुक्त ने कहानी सुनाई थी, जिसने मुझे अंदर तक हिला कर रख दिया था. जब मैं अपनी पहली फिल्म बना रहा था तब भी मुझे यह कहानी फिल्म बनाने के लिए प्रेरित करती थी.अब जाकर मैं इसे बना पाया हूं.’’फिरोज ने कहा कि जब तक इस फिल्म का निर्माण नहीं हो जाता उनकी अंतरात्मा पर बोझ बना रहता. उन्होंने कहा, ‘‘मैं अब इस फिल्म के बनने के बाद चिंतामुक्त हो गया हूं. जब से मैंने इस कहानी को सुना था तब से यह मेरे दिलो-दिमाग पर छायी हुई थी, यहां तक कि मेरी मंच प्रस्तुतियों के दौरान भी बस यही बात थी कि कैसे इस पर फिल्म बनाई जाए?’’ फिल्म के बारे में बताते हुए फिरोज कहते हैं, ‘‘यह फिल्म आंशिक वृत्त चित्र और हास्य-व्यंग्य का सम्मिलित रुप है, जो इस व्यावसायिक दौर में प्रशासनिक उदासीनता और मीडिया के नैतिक मूल्यों में बदलाव पर को दर्शाती है.’’

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