UP Election: योगी के लिए उनके गढ़ में ही मुश्किल खड़ा करेंगे चन्द्रशेखर! ऐसी है जातियों का चुनावी अंकगणित

UP Assembly Election 2022: गोरखपुर सदर सीट के लिए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के छठे चरण यानी तीन मार्च को मतदान होना है. यहां निषाद/केवट/ मल्लाह और दलितों के वोट चन्द्रशेखर के तरफ गये तो मुकाबला रोमांचक हो सकता है.

By Prabhat Khabar | January 21, 2022 9:48 AM

UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में दलित नेता चंद्रशेखर आजाद सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मैदान में होंगे. उनकी आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने गुरुवार को यह घोषणा की. चंद्रशेखर पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरे हैं. इससे पहले वे सपा के साथ गठबंधन चाहते थे, लेकिन सीटों को लेकर बात नहीं बनी, तो प्रदेश की सभी 403 सीटों पर लड़ने का निर्णय लिया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ होने के कारण गोरखपुर सदर सीट पर पूरे यूपी की नजर रहती है. गोरक्षनाथ मंदिर का प्रभाव होने की वजह से राम मंदिर आंदोलन से लेकर मोदी लहर तक इस सीट की अहम भूमिका रही है. ये सीट लगातार भाजपा के कब्जे में रही है. 1967 के बाद से अब तक हुए चुनाव में भाजपा हमेशा इस सीट पर जीती है.

गोरखपुर सीट पर मठ का रहा है दबदबा 

गोरखपुर सदर की सीट 1989 से अब तक हुए हर चुनाव में गोरखनाथ मठ के पास ही रही है. 1989 से 2017 तक हुए आठ विधानसभा चुनावों में से सात बार यह सीट भाजपा और एक बार हिंदू महासभा के पास रही है. 1989 से 1996 तक लगातार चार बार जीतने वाले शिव प्रताप शुक्ल उसके बाद 2002 में हिंदू महासभा से जीतकर 2007 से लेकर 2017 तक भाजपा से लगातार जीतने वाले डॉ राधामोहन दास अग्रवाल को देखने से स्पष्ट है कि 1989 से गोरखनाथ मठ का राजनीतिक दखल इस सीट पर बना हुआ है. भाजपा योगी को गोरखपुर सदर सीट से लड़ा कर गोरखपुर-बस्ती मंडल की 41 सीटों को वापस अपने खेमे में लाने का प्रयास कर रही है.

गोररखपुर सदर में जातियों का चुनावी अंकगणित

  • निषाद/केवट/ मल्लाह 40 हजार से अधिक

  • दलित 30 हजार (पासवान अिधक)

  • वैश्य 20-25 हजार (बनिया के अलावा जायसवाल भी)

  • ब्राह्मण 30 हजार से अधिक

  • राजपूत 30 हजार से अधिक

  • मुस्लिम 20-25 हजार

सीएम योगी के लिए परेशानी खड़ा करेंगे चन्द्रशेखर!

4 लाख से अधिक मतदाताओं वाली सीट है गोरखपुर सदर. सबसे अधिक संख्या में यहां कायस्थों के वोट हैं जो हर हाल में भाजपा को जाते हैं. बंगाली समुदाय के वोट भी हैं शहर सीट पर निर्णायक होते हैं. माना जाता है कि मल्लाह, ब्राह्मण, राजपूत, कायस्थ एवं बनिया समेत आधे से अधिक संख्या में दलितों का वोट योगी के खाते में ही जाने की उम्मीद है पर अगर निषाद/केवट/ मल्लाह और दलितों के वोट चन्द्रशेखर के तरफ गये तो मुकाबला रोमांचक हो सकता है.

Next Article

Exit mobile version