Lucknow News: यूपी विधानसभा चुनाव में सपा और रालोद का गठबंधन पश्चिमी यूपी में भाजपा के लिए दिक्कत का सबब बन रहा है. इनके कार्यक्रमों में युवाओं की भीड़ भी उमड़ रही है. ऐसे में पिता अजित चौधरी की मौत के बाद जयंत चौधरी ने सपा से जो गठबंधन किया है, वह उनके लिए संजीवनी साबित हो रही है.
क्या कहता है जाटलैंड का समीकरण
यूपी में विधानसभा की कुल 403 सीटें हैं. राष्ट्रीय लोकदल का प्रभाव पूरे सूबे में नहीं है. मगर वेस्ट यूपी इनकी पकड़ कही जाती है. एसपी-आरएलडी गठबंधन के निशाने पर जाट-मुस्लिम समीकरण है. यूपी में जाट वोटर्स की तादाद करीब 7 प्रतिशत है जो ज्यादातर पश्चिमी यूपी में हैं. पश्चिमी यूपी में 25 विधानसभा सीट ऐसी हैं जिन पर जाट वोटर्स को निर्णायक माना जाता है. पश्चिमी यूपी में 29 प्रतिशत मुस्लिम वोटर्स हैं.
जयंत के करियर पर एक नजर
हालांकि, आरएलडी को साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में शिकस्त मिली थी. पार्टी बिना किसी गठबंधन के चुनावी मैदान में उतरी थी. 277 सीटों पर उम्मीदवार उतारे लेकिन जीती एक सीट. बाद में उस विधायक ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया था. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में आरएलडी खाता तक नहीं खुला था. ऐसे में पार्टी को दोबारा जिंदा करने में जयंत चौधरी की मेहनत साफ दिख रही है. 15वीं लोकसभा में सांसद बनने वाले जयंत चौधरी मथुरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद चुने गए थे.
पार्टी के सामने थी वजूद की समस्या
वहीं, उनके पिता चौधरी अजीत सिंह पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पुत्र थे. वे भारत के कृषि मंत्री रहे और वो 2011 से केंद्र की यूपीए सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री रहे. वे राष्ट्रीय लोक दल के लंबे समय तक अध्यक्ष रहे थे. उत्तर प्रदेश के बागपत से निर्वाचित सांसद भी रहे थे. 6 मई, 2021 को गुरुग्राम में कोविड-19 से उनकी मृत्यु हो गई थी. जाटलैंड में वोटर्स का रूझान काफी एकजुटता वाला रहा है. ऐसे में रालोद के माध्यम से जाट वोटर्स के मन को जीतते और टटोलते आए पूर्व पार्टी प्रमुख अजित चौधरी को भी इस वर्ग विशेष की राजनीति के लिए जाना जाता था. अब वही काम उनके बेटे जयंत चौधरी कर रहे हैं. वेस्ट यूपी के युवाओं में खासे चर्चित जयंत ने अपने पिता को खोने के बाद पार्टी को बिखरने से बचाते हुए उसके वजूद को जिंदा कर दिया है.
रोचक होगा सियासी मुकाबला
यूपी के चुनाव में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का साथ उनकी पार्टी के लिए संजीवनी बन गई है. सपा और रालोद की संयुक्त पीसी में जिस तरह से अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की जोड़ी नजर आई, उससे यह साबित होता है कि जयंत ने अपनी पार्टी की स्थिति को काफी मजबूत कर लिया है. हालांकि, इस जोड़ी से लोगों को कितना मतदान गठबंधन वाले ईवीएम के बटन पर आएगा, देखना रोचक होगा.