कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के तहत करीब एक महीने चले प्रचार अभियान के बाद अब प्रदेश की जनता की बारी आई है. 10 मई को मतदान होना है. कर्नाटक की जनता अपने मतदाधिकार का प्रयोग कर उम्मीदवारों के चुनावी भविष्य को ईवीएम में बंद करेगी. 13 मई को पता चलेगा कि कर्नाटक की सत्ता का ताज बीजेपी बरकरार रख पाती है या कांग्रेस उससे यह ताज छीनने में सफल रहती है.
कर्नाटक में 224 विधानसभा क्षेत्रों में 10 मई को डाले जायेंगे वोट
कर्नाटक की 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए प्रदेश की जनता 10 मई को अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करेगी. मतदान सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक होगा.
कर्नाटक चुनाव में 2615 उम्मीदवार चुनावी मैदान में
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कुल 2615 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे हैं. राज्य भर में 58,545 मतदान केंद्रों पर कुल 5,31,33,054 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे. मतदाताओं में 2,67,28,053 पुरुष, 2,64,00,074 महिलाएं और 4,927 अन्य हैं. उम्मीदवारों में 2,430 पुरुष, 184 महिलाएं और एक उम्मीदवार अन्य लिंग से हैं. राज्य में 11,71,558 युवा मतदाता हैं, जबकि 5,71,281 दिव्यांग और 12,15,920 मतदाता 80 वर्ष से अधिक आयु के हैं.
कर्नाटक में त्रिशंकु जनादेश के आसार
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला होना है. हालांकि तीसरी ताकत के रूप में जनता दल (सेक्युलर) को नकारा नहीं जा सकता है. जानकारों का मानना है कि कर्नाटक में त्रिशंकु जनादेश भी हो सकते हैं.
क्या 38 साल के रिकॉर्ड को तोड़ पायेगी बीजेपी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के रथ पर सवार सत्तारूढ़ भाजपा की कोशिश 38 साल के उस मिथक को तोड़ने की है. कर्नाटक में अबतक प्रदेश की जनता ने किसी भी सत्ताधारी पार्टी को वापस सत्ता में बिठाने से परहेज किया है. आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर दक्षिण के अपने इस गढ़ को बरकरार रखने के लिए भाजपा ने कोई कसर नहीं छोड़ी है. प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य में करीब डेढ़ दर्जन चुनावी जनसभाओं और आधा दर्जन से अधिक रोड शो के जरिए फिर से जनता का विश्वास हासिल करने का प्रयास किया वहीं.
सत्ता में वापसी की कोशिश में कांग्रेस
कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनावों में खुद को मुख्य विपक्षी दल के रूप में स्थापित करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. कांग्रेस के लिए उसके अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पार्टी संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने पूरे राज्य में जनसभाएं की. राहुल और प्रियंका ने कई रोड शो भी किए. पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने प्रचार अभियान में कोई कसर नहीं छोड़ी.
जनता दल (सेक्युलर) की भी नजर सत्ता के खेल में
इन दोनों दलों के अलावा सबकी नजर पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा के नेतृत्व वाले जनता दल (सेक्युलर) पर भी है. जानकारों का कहना है कि त्रिशंकु जनादेश की स्थिति में सरकार गठन की कुंजी उसी के हाथों में होगी. पूर्व के चुनावों में भी राज्य में कई अवसरों पर यह स्थिति उभर चुकी है. चुनाव प्रचार के दौरान सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने ‘पूर्ण बहुमत वाली सरकार’ का नारा जोरशोर से बुलंद किया.
चुनाव प्रचार में ये मुद्दे रहे हावी
भाजपा का चुनाव प्रचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्मे, ‘डबल इंजन’ की सरकार, राष्ट्रीय मुद्दों और कार्यक्रमों या केंद्र एवं राज्य सरकारों की उपलब्धियों पर केंद्रित रहा. जबकि कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों को उठाया है और शुरुआत में इसके चुनाव प्रचार की बागडोर स्थानीय नेताओं के हाथों में थी. हालांकि, बाद में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा जैसे इसके शीर्ष नेता भी चुनाव प्रचार में शामिल हो गये. पिछले दिनों सोनिया गांधी ने भी राज्य में चुनावी जनसभा को संबोधित किया. जद (एस) ने भी चुनाव प्रचार में स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता दी है.