एसबीआई तैयार कर रहा नया फॉर्मूला, 2 साल तक सैलरी कट का नहीं पड़ेगा लोन पर असर

देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई की ओर होम लोन के पुनर्गठन के विकल्पों को लेकर नया फार्मूला बनाए जाने पर जोर-शोर से काम किया जा रहा है. बैंक की ओर से होम लोन लेने वालों के लिए एक ऐसा फॉर्मूला तैयार किया जाएगा, जिससे करीब दो साल तक सैलरी में कटौती होने के बावजूद लोन पर किसी प्रकार का प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा.

By Prabhat Khabar Print Desk | August 17, 2020 5:37 PM

नयी दिल्ली : देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई की ओर होम लोन के पुनर्गठन के विकल्पों को लेकर नया फार्मूला बनाए जाने पर जोर-शोर से काम किया जा रहा है. बैंक की ओर से होम लोन लेने वालों के लिए एक ऐसा फॉर्मूला तैयार किया जाएगा, जिससे करीब दो साल तक सैलरी में कटौती होने के बावजूद लोन पर किसी प्रकार का प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा.

अंग्रेजी के एक अखबार में प्रकाशित खबर के अनुसार, एसबीआई की ओर से जिन विकल्पों पर काम किया जा रहा हैं, उसमें कुछ महीनों के लिए ईएमआई स्थगित करने की अनुमति दी जा सकती है, जहां लोन लेने वालों को कोरोना महामारी की वजह से चरणबद्ध तरीके से ईएमआई अधिस्थगन या वेतन में कटौती की वजह से आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है.

सूत्रों के अनुसार, रिजर्व बैंक की ओर से गठित केवी कामथ समिति रिटेल और होम लोन के पुनर्गठन पर विचार नहीं करेगी और बैंक खुद ही महामारी की वजह से तनाव का सामना करने वाले कर्जदारों की संख्या के मद्देनजर एक प्रस्ताव तैयार करेंगे और अगले महीने की शुरुआत में अपने बोर्ड के सामने पेश करेंगे.

हालांकि, देश के बैंकर्स डिफॉल्टरों के गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की समीक्षा से बचने के लिए लोन पुनर्गठन करने के इच्छुक हैं. ज्यादातर बैंकों का कहना है कि यह सुरक्षा लागू करने और संपत्ति संलग्न करने का सही समय नहीं है. हालांकि, आरबीआई ने बैंकों को दो साल तक ऋण अवधि बढ़ाने की अनुमति दी है, लेकिन बैंकरों का कहना है कि वे दो साल की मोहलत नहीं दे सकते.

इसके साथ ही, 15 साल के ऋण के साथ जिस किसी ने भी छह महीने के लिए ईएमआई अधिस्थगन का लाभ उठाया है, 14 महीनों तक उनके समूचे लोन के कार्यकाल को देखेगा. इसका मतलब है कि ज्यादातर बैंक कुछ महीनों में ईएमआई को कम कर सकते हैं. यह छूट उस ब्याज दर पर निर्भर करेगी, जिसका भुगतान लोन लेने वाला कर रहा होगा. हालांकि, होम लोन की दरें फिलहाल 7 फीसदी से नीचे आ गयी हैं.

बैंकों का कहना है कि पुनर्गठित ऋण के लिए अपनी सर्वोत्तम दरें प्रदान करना मुश्किल होगा, क्योंकि ऋणदाताओं को पुनर्गठित ऋण पर 10 फीसदी का अतिरिक्त प्रावधान करना होगा. इससे लागत में 30 आधार अंकों तक की वृद्धि होगी.

आरबीआई की ओर से नियुक्त कामथ समिति सितंबर के मध्य तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकती है. बैंकरों को उम्मीद है कि समिति ऋण पुनर्गठन के लिए विभिन्न मापदंडों को अपनाएगी, जिसमें अधिकतम ऋण इक्विटी अनुपात की अनुमति दी जाएगी. इसमें हॉस्पिटलिटी, नागर विमानन, रीयल एस्टेट या विनिर्माण क्षेत्र को शामिल किया जा सकता है.

इसके साथ ही समिति यह भी तय करेगी कि किन परिस्थितियों में ऋण को इक्विटी में परिवर्तित किया जा सकता है. इसके अलावा, प्रत्येक व्यक्तिगत कॉरपोरेट ऋण के पुनर्गठन के बारे में विचार करने के लिए समिति द्वारा 1,500 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक जोखिम की समीक्षा की जाएगी.

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Posted By : Vishwat Sen

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