मुंबई : रिजर्व बैंक ने कहा कि वह फंसे कर्ज (NPA) के मुद्दे के समाधान के लिए बैंक अध्यादेश को लागू करने की खातिर अपने अंतर्गत निगरानी समिति पुनर्गठित करेगा. बैंकों का फंसा कर्ज बढ़कर 8 लाख करोड़ रुपये हो गया है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि निगरानी समिति पुनर्गठित करने का फैसला किया गया है. साथ ही, समिति में और सदस्यों को जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है, ताकि वह अपने पास आए मामलों से निपटने के लिए जरूरी पीठें गठित कर सकें. मौजूदा निगरानी समिति में दो सदस्य हैं और इसका गठन भारतीय बैंक संघ (IBA) ने किया.
बैंक नियमन (संशोधन) अध्यादेश, 2017 के क्रियान्वयन की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए रिजर्व बैंक ने कहा कि वह उन मामलों के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए मसौदा पर काम कर रहा है, जो दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (IBC) के तहत समाधान के लिए भेजा जा सकता है. रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि वह बैंकों से बड़े फंसे कर्ज की मौजूदा स्थिति के बारे में पहले ही जानकारी मांग चुका है.
रिजर्व बैंक की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि आरबीआई एक समिति भी बनायेगा, जिसमें बहुसंख्यक निदेशक मंडल के स्वतंत्र सदस्य होंगे, जो इस मामले में सलाह देगी. यह अध्यादेश आरबीआई को किसी भी बैंक को आईबीसी के तहत चूक के संदर्भ में शोधन समाधान प्रक्रिया के लिए कार्रवाई शुरू करने का निर्देश देने का अधिकार देता है. यह केंद्रीय बैंक को बैंकों को फंसे कर्ज के समाधान के लिए निर्देश देने का भी अधिकार देता है.
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