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बोले वित्त राज्य मंत्री गंगवार, 15-20 प्रतिशत कैशलेश लेनदेन हासिल करना होगी बड़ी उपलब्धि

नयी दिल्ली : कैशलेश लेनदेन को पारदर्शिता की दिशा में एक बडा कदम बताते हुए वित्त राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा है कि हमने शत प्रतिशत कैशलेश की बात नहीं कही है लेकिन अगर 15-20 प्रतिशत लोग भी कैशलेस लेनदेन की ओर चले जाते हैं तो यह एक बडी उपलब्धि होगी क्योंकि यह […]

नयी दिल्ली : कैशलेश लेनदेन को पारदर्शिता की दिशा में एक बडा कदम बताते हुए वित्त राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा है कि हमने शत प्रतिशत कैशलेश की बात नहीं कही है लेकिन अगर 15-20 प्रतिशत लोग भी कैशलेस लेनदेन की ओर चले जाते हैं तो यह एक बडी उपलब्धि होगी क्योंकि यह पारदर्शी और कारगर है. देश में कैशलेस लेनदेन की सरकार की मुहिम को लेकर कुछ वर्गो की चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर वित्त राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने ‘पीटीआई भाषा’ से कहा कि दुनिया में कई देशों में कैशलेस लेनदेन की सुविधा है. वहां ऐसा लेनदेन हो रहा है.

‘‘हमने कभी नहीं कहा कि हम 100 प्रतिशत कैशलेस होंगे. लेकिन अगर 15-20 प्रतिशत लोग भी कैशलेस लेनदेन की ओर चले जाते हैं तो यह एक बडी उपलब्धि होगी क्योंकि यह पारदर्शी और कारगर है. ‘ उनसे पूछा गया था कि भारत जैसे बडे देश में शत प्रतिशत कैशलेश लेनदेन कैसे संभव है. नोटबंदी की घोषणा के एक महीने से अधिक समय गुजरने के बाद भी बैंकों और एटीएम के बाहर लगी लंबी लाइनों के बारे में पूछे जाने पर गंगवार ने कहा कि यह बात सही है कि 15 लाख करोड रुपये से अधिक की मुद्रा थी, जिसको वापस लिया जा रहा है. स्वाभाविक है कि कुछ असुविधा होगी.

अस्पतालों, पेंशनधारक बुजुर्गो, महिलाओं को बैंकों में अभी भी पेश आ रही परेशानियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने पहले ही 50 दिन के कष्ट की बात कही है. अभी बैंकों की कुछ शिकायतें आ रही है उस पर हमने ध्यान दिया है और प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमने अस्पतालों एवं अन्य लोगों से सम्पर्क किया और लोगों की परेशानियां धीरे धीरे कम हो रही हैं. पुराने नोट बदलने की प्रक्रिया में अब सामान्य लोग नहीं आ रहे हैं. संतोष गंगवार ने कहा कि मैं ऐसा महसूस करता हूं कि धीरे-धीरे लाइनें कम हो रही हैं. अभी महीने के दो ही हफ्ते गुजरे हैं. पहले हफ्ते में सभी को तनख्वाह मिलनी थी इसी कारण भीड बढी. कुछ लोग पैसे बैंक में ही रखना चाहते है. लोगों को लगातार तनख्वाह मिल रही है भले ही कम लोगों को मिल पा रही हो लेकिन सभी बैंकों में पैसा जा रहा है. लोगों को असुविधा है, हम मान सकते है लेकिन जल्द इसका समाधान निकल जायेगा.

बैंकों के स्टिंग आपरेशन के बारे में पूछे जाने पर गंगवार बोले कि वे इस बारे में नहीं बता सकते लेकिन जो शिकायतें मिल रही है उन पर कारवाई की जा रही है. आरएसएस के चिंतक गुरुमूर्ति के 2000 का नोट बंद करने और कुछ आर्थिक विशेषज्ञों द्वारा नोटबंदी के बाद विकास दर कम होने के अनुमान के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ये उनके अपने विचार हो सकते है. किसी आर्थिक विशेषज्ञ के बयान के बारे में उन्हीं से पूछा जाना चाहिए. हम केवल सरकार का पक्ष रख सकते हैं और सरकार का फैसला भ्रष्टाचार और कालेधन को समाप्त करना और वृहद आर्थिक सुधार की दिशा में एक बडा कदम है. नोटबंदी के मुद्दे पर शीतकालीन सत्र में कोई कामकाज नहीं होने के बारे में पूछे जाने पर संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि सदन में कामकाज सुचारु रुप से चले यह सरकार और विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी है, सरकार की थोडी ज्यादा है. और इसलिए हम पहले दिन से नोटबंदी पर चर्चा करने को तैयार थे. लेकिन कुछ विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस ने बेतुकी शर्ते रख दी.

उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वे (विपक्ष) सदन में चर्चा करने की बजाए शोर शराबा करते रहे. अतीत में भी ऐसे कई अवसर आए हैं कि सदन नहीं चला. लेकिन आज विपक्ष के पास कहने के लिए कुछ नहीं है, इसलिए उसने सदन को बाधित किया. प्रश्नकाल और शून्यकाल विपक्ष का सबसे कारगर हथियार होता है लेकिन विपक्षी दलों ने इस समय भी हंगामा किया. सदन में कामकाज नहीं होने पर भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के आक्रोश और पीडा व्यक्त करने के बारे में पूछे जाने पर गंगवार ने कहा कि उनकी तकलीफ स्वाभाविक है क्योंकि सभी चाहते हैं कि सदन में सुचारु रुप से कामकाज हो.

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