नयी दिल्ली : स्टैंडर्ड एंड पूअर्स ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा कि नोटबंदी तथा सितंबर 2017 से जीएसटी के लागू होने से अल्पकाल में अर्थव्यवस्था के असंगठित, ग्रामीण और नकद आधारित खंडों पर ‘उच्च हानिकारक प्रभाव’ पड़ सकता है. हालांकि इन सुधारों से अल्पकालीन समस्याओं के बाद दीर्घकाल में लाभ हो सकता है. एजेंसी ने आगे कहा कि कंपनियों तथा बैंकों पर अल्पकाल में नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि नोटबंदी से नकदी संकट के कारण जीडीपी वृद्धि कम होगी.
एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स के क्रेडिट विश्लेषक अभिषेक डांगरा ने ‘इंडियाज डिमोनेटिआईजेशन एंड द जीएसटी : शार्ट टर्म पेन फान लांग टर्म गेन’ शीर्षक से लिखे अपने एक लेख में कहा, ‘भारत सरकार के सुधारों का दीर्घकालीन संरचनात्मक लाभ होगा लेकिन इसमें अल्पकालीन क्रियान्वयन और समायोजन जोखिम है.’ यह लेख आज प्रकाशित हुआ है. रेटिंग एजेंसी ने हाल ही में 2016-17 के लिये आर्थिक वृद्धि का अनुमान एक प्रतिशत अंक कम कर 6.9 प्रतिशत कर दिया. इसका कारण नोटबंदी से उत्पन्न होने वाली बाधा है.
लेख में कहा गया है कि सरकार का उच्च राशि की मुद्रा पर प्रतिबंध के निर्णय से नकदी की काफी समस्या हुई है. एस एंड पी ने कहा, ‘नोटबंदी और जीएसटी दोनों से अर्थव्यवस्था के असंगठित, ग्रामीण और नकद आधारित खंडों पर ‘उच्च हानिकारक प्रभाव’ पड़ सकता है. जीएसटी के सितंबर 2017 से लागू होने की संभावना है.’
लेख के अनुसार कहा इन सुधारों से अल्पकालीन समस्याओं के बाद दीर्घकाल में लाभ हो सकता है. क्रेडिट और जोखिम विश्लेषक कंपनी का मानना है कि नोटबंदी तथा जीएसटी से कर का दायर बढेगा और संगठित अर्थव्यवस्था में अधिक भागीदारी होगी. इससे दीर्घकाल में भारत के व्यापार माहौल तथा वित्तीय प्रणाली में लाभ होना चाहिए. एस एंड पी ग्लोबल की अनुषंगी क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी का कहना है, ‘हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2016-17 में निजी खपत कम होगी लेकिन 2017-18 में मांग बढ़ेगी और वृद्धि पटरी पर आएगी. भारत को जल्दी ही 8.0 प्रतिशत की सालाना वृद्धि के रास्ते पर लौटना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि अगले एक-दो तिमाही में मांग बढ़ने से भारतीय बैंकों तथा कंपनियों पर प्रभाव कुछ समय के लिये ही रहेगा. एस एंड पी के एक और क्रेडिट विश्लेषक गीता चुग ने कहा, ‘बैंक क्षेत्र के समक्ष अल्पकाल में नकारात्मक दबाव होगा क्योंकि ऋण वृद्धि नरम रहेगी. संपत्ति गुणवत्ता और आय पर दबाव रहेगा. लेकिन डिजिटल बैंकिंग तथा बैंक आधार बढ़ने से दीर्घकाल में लाभ होगा.’
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