मुंबई : केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने आज कहा कि सरकार अगले तीन-चार महीने में कोयला आयात पर निर्भरता समाप्त करने के लिये काम कर रही है. इसका मकसद कोल इंडिया द्वारा उत्पादित अधिशेष कोयला की खपत का रास्ता सुगम बनाना है. बिजली और कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने कल शाम यहां कहा, ‘जब मैंने 2014 में कार्यभार संभाला, मेरे समक्ष ईंधन की अपर्याप्त आपूर्ति की चुनौती थी. लेकिन अब दो साल बाद हम ऐसे बिंदु पर आ गये हैं जहां हमारे पास अधिशेष कोयला है और हम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि इस अधिशेष कोयले को कैसे बेचा जाए.’
वह ‘काउंसिल फार फेयर बिजनेस प्रैक्टिसेस (सीएफबीपी) के 50 साला समारोह के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘इस अधिशेष कोयले की समस्या के समाधान के लिये मेरे मंत्रालय ने एक पूरा कार्यक्रम तैयार किया ताकि हम राज्य सरकार या बिजली वितरण कंपनियों द्वारा कोयले के आयात को अगले तीन-चार महीनों में पूरी तरह समाप्त कर सके.’ गोयल ने कहा कि आजादी के करीब 6-7 दशक बाद भी देश के समक्ष बिजली तथा कोयले की कमी थी लेकिन आज अधिशेष उत्पादन की स्थिति है.
उन्होंने कहा, ‘जब मैंने कोयले की कमी को पूरा करने के लिये बिना किसी तैयारी के एक अरब टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य रखा था तो मेरी इसे लेकर आलोचना हुई थी. लेकिन आज हम इस बात को लेकर चिंतित है कि हम कैसे अतिरिक्त कोयले को बेचेंगे.’ गोयल ने कहा कि करीब 20 दिन के भंडार की उपलब्धता है और देश में कोई ऐसा संयंत्र नहीं है जो कोयले की कमी के कारण बंद हुआ हो. कोल इंडिया ने 2016-17 में 59.8 करोड टन कोयले के उत्पादन का लक्ष्य रखा है.
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