नयीदिल्ली : उद्योग जगत के एक प्रतिष्ठित मासिक सर्वेक्षण के अनुसार भारत के विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर मार्च में आठ माह के उच्चतम स्तर पर रही. आलोच्य महीने में इकाइयों को अपेक्षाकृत आर्डर मिले जिससे उनके उत्पादन में तेजी आयी. इस दौरान मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ने के भी संकेत प्राप्त हुए जिसको देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक संभवत: ब्याज दरों में कटौती का सिलसिला रोक सकता है. निक्कई इंडिया मैन्युफेक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स :पीएमआइ: मार्च में 52.4 रहा जो आठ महीने का इसका उच्चतम स्तर है. फरवरी में यह सूचकांक 51.1 था.
इस सूचकांक में 50 से ऊपर का आंकड़ा विनिर्माण गतिविधियों में विस्तार का प्रतीक है. यह सूचकांक पिछले तीन महीने से 50 से ऊपर बना हुआ है.
इस सर्वेक्षण रपट सेजुड़ी फर्म मार्किट की अर्थशास्त्री और सर्वेक्षण रपट की लेखक पोलिना डी लीमा ने कहा,‘ पीएमआइ आंकड़ों से संकेत मिलता है कि 2015-16 की आखिरी तिमाही आर्थिक वृद्धि के हिसाब से एक और अच्छी तिमाही रही है. ‘ महंगाई के मामले में, लागत मुद्रास्फीति की दर तेज हुई है तथा उत्पादन मूल्य मुद्रास्फीति 16 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचगयी है. इसके अलावा आलोच्य अवधि में जिंसों व कच्चे तेल की कीमत में गिरावट के लाभ को रुपये की विनिमय दर ने बराबर कर दिया क्योंकि रुपया सस्ता होने से आयातित सामग्री अपेक्षाकृत महंगी हुई है.
लीमा ने कहा,‘ महंगाई के दबाव से रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में कटौती के सिलसिले को फिलहाल रोक सकता है, खासकर ऐसे समय में जबकि आर्थिक वृद्धि दर मजबूत है.
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