नयी दिल्ली: रीयल्टी क्षेत्र के शीर्ष संगठन क्रेडाई ने आज कहा कि पिछले 18 माह के दौरान देशभर में मकानों के दाम औसतन 15 से 20 प्रतिशत तक गिर गये हैं, इसमें आगे और कटौती की गुंजाइश नहीं है. क्रेडाई के अध्यक्ष गीतांबर आनंद ने यहां संवाददाताओं से कहा कि त्यौहारों के मौसम में आवासों की बिक्री में 15 प्रतिशत सुधार आया.
दाम घटने और आवास ऋण पर ब्याज दर घटने से बिक्री बढने में मदद मिली है. फिर भी अभी 25 से 30 प्रतिशत तक मकान बिना बिके बचे हैं. रीयल्टी उद्योग ने सुस्त पडे रीयल एस्टेट क्षेत्र में जान फूंकने के लिये केंद्र और राज्य सरकारों से कर ढांचे को तर्कसंगत बनाने और परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिये एक खिडकी मंजूरी सुविधा उपलब्ध कराने पर जोर दिया है.
क्रेडाई ने रीयल एस्टेट क्षेत्र के बारे में नियमित आंकडे उपलब्ध कराने के लिये क्रिसिल के साथ गठबंधन किया है.
उद्योग की कर ढांचे को तर्कसंगत बनाने की मांग को रखते हुये क्रेडाई ने कहा कि निर्माण कामगारों की भविष्यनिधि और ईएसआई किस्तों का भुगतान नहीं करने के लिये ठेकेदार को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिये न कि प्रधान नियोक्ता के तौर पर डेवलपर को इसके लिये जिम्मेदा माना जाना चाहिये.क्रेडाई एनसीआर के अध्यक्ष मनोज गौड़ ने कहा, ‘‘हम कारोबार सुगमता चाहते हैं, कई तरह की अनुपालन शर्ते हैं, जिससे परियोजना में देरी होती है. हम कर ढांचे को सरल बनाने और एकल खिडकी मंजूरी व्यवस्था चाहते हैं.’ उन्होंने हा कि मकान की कुल लागत में करीब 350 रुपये प्रति वर्गफुट की लागत करों के रूप में होती
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