नयी दिल्ली : रूस की तेल उत्पादक कंपनी रॉसनेफ्ट ने भारत की एस्सार आयल की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने का करार किया है जो करीब 3.2 अरब डालर कहा है. इस करार में एस्सार आयल का कोल बेड मिथेन (सीबीएम) कारोबार शामिल नहीं होगा. रॉसनेफ्ट दुनिया की प्रमुख तेल उत्पादक कंपनियों में है. इस करार से उसे भारत में कदम रखने और भारत की दूसरी सबसे बडी तेल शोधक इकाई चला रही कंपनी और उसके पेट्रोलपंप कारोबार में हिस्सेदारी का मौका मिलेगा.
एस्सार आयाल के इस समय 1,600 पेट्रोल पंप हैं. दो साल में इन्हें बढकर 5,000 करने की योजना है. रूसी कंपनी गुजरात में वाडीनार में एस्सार आयल की सालाना दो करोड टन क्षमता के तेलशोधन संयंत्र को 10 साल तक सालाना एक करोड टन कच्चा तेल मुहैया कराएगी. यह समझौता मारीशस में पंजीकृत दो कंपनियों के माध्यम से किया जा रहा है.
एस्सार आयल ने एक बयान में कहा है, ‘एस्सार आयल लिमिटेड की शेयर पूंजी में रॉसनेफ्ट की 49 प्रतिशत तक की हिस्सेदारी के संबंध में मारीशस के कानून के तहत गठित और प्रबंधित कंपनियों रॉसनेफ्ट एंड एस्सार आयल एंड गैस लिमिटेड और एस्सार एनर्जी होल्डिंग्स लिमिटेड के बीच गैर-बाध्यकारी अनुबंध-पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं.’ भारतीय कंपनी ने सौदे के आकार का खुलासा नहीं किया है.
उसका कहना है यह सौदा परिसंपत्तियों एवं देनदारियों की जांच, सौदे के मूल्य निर्धारण, पक्के सोदे के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर तथा सरकारी मंजूरियों के मिलने पर निर्भर करेगा. इस घटनाक्रम से जुडे सूत्रों ने कहा कि रॉसनेफ्ट 49 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए 3.2 अरब डालर का भुगतान करेगी.इस सौदे में एस्सार आयल को मिले पांच सीबीएम ब्लाकों का परिचालन तथा पश्चिमी अपतटीय रत्ना और आर-सिरीज तेल-गैस परियोजनाएं शामिल नहीं हैं.
कंपनी के सीबीएम ब्लाकों में 10,000 अरब घन फुट गैस भंडार है. एस्सार आयल में रइया घराने की 90.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है. जिसमें से 65.6 प्रतिशत हिस्सेदारी विदेशी डिपाजिटरी शेयर के रूप में है. कंपनी शेयर पुनर्खरीद के जरिए शेयर बाजार से अपनी सूचीबद्धता खत्म कराने की प्रक्रिया में है. बाजार नियामक सेबी ने नवंबर में जीडीआर से जुडे मुद्दे पर गैर-सूचीबद्धता प्रक्रिया को रोक दिया था. सूत्रों ने कहा कि इस मुद्दे को सुलझा दिया गया है.
एस्सार, रूस से आयातित कच्चे तेल को शामिल करने के लिए ईरान से आयात में कटौती हो सकती है. एस्सार अपनी वाडीनार रिफाइनरी के लिए ईरान पर काफी हद तक निर्भर है और अपनी कच्चे तेल की जरुरत के एक चौथाई हिस्से का आयात फारस की खाडी में स्थित इस देश से करता है. रॉसनेफ्ट में बहुलांश हिस्सेदारी रूस की सरकार की है. इसमें बीपी पीएलसी भी हिस्सेदार है और उसकी हिस्सेदारी 20 प्रतिशत से कम है जबकि सार्वजनिक हिस्सेदारी करीब 10 प्रतिशत है.
एस्सार समूह के संस्थापक शशि रुइया और रॉसनेफ्ट के चेयरमैन इगोर सेचिन ने रूस के उफा में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान कल शाम इन करारों पर हस्ताक्षर किये. रॉसनेफ्ट ने एक बयान में कहा कि एस्सार को कच्चे तेल की आपूर्ति के समझौते से उसे इस क्षेत्र में बाजार के बिक्री केंद्रों के विस्तार और आपूर्ति की मात्रा बढाने में मदद मिलेगी. उसका कहना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के प्रेरक तत्व इन बाजारों में केंद्रित हैं.
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