नयी दिल्ली : सरकार ने आज एक नये विधेयक को मंजूरी दे दी, जो 29 साल पुराने भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) कानून का स्थान लेगा. इसका मकसद अनिवार्य मानक व्यवस्था के तहत और उत्पादों को लाने और ‘इंस्पेक्टर राज’ को समाप्त करने का है. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नया भारतीय मानक ब्यूरो-2015 को लाने की मंजूरी दे दी है.’ उपभोक्ताओं को उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नये विधेयक में अनिवार्य व्यवस्था के दायरे में और उत्पादों को लाने का प्रस्ताव है.
फिलहाल 92 उत्पाद अनिवार्य मानक के तहत आते हैं. बयान में कहा गया है कि अभी तक सिर्फ उत्पाद और प्रणाली ही मानकों के दायरे में आती है. विधेयक में इसमें सेवाओं के अलावा सामान और प्रक्रियाओं को भी इसके दायरे में लाने का प्रस्ताव है. इसमें कहा गया है कि इससे सरकार को उन सामान, प्रक्रियाओं या सेवाओं को अनिवार्य प्रमाणन व्यवस्था के तहत लाने में मदद मिलेगी हो स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण और धोखेबाजी के व्यवहार पर रोक के लिए जरुरी हैं.
बयान में कहा गया है कि अनिवार्य प्रमाणन से उपभोक्ताओं को आइएसआइ प्रमाणित उत्पाद मिलेंगे और साथ ही इससे कम गुणवत्ता वाले उत्पादों के आयात पर अंकुश लगाने में भी मदद मिलेगी. विधेयक में बहुमूल्य धातुओं की अनिवार्य हॉलमार्किंग, जुर्माना बढाने के अलावा कानून के कुछ प्रावधानों को सरल करने का प्रस्ताव है. नये विधेयक में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) को भारतीय राष्ट्रीय निकाय बनाने का भी प्रस्ताव है.
यह संचालन परिषद के जरिये परिचालन करेगा. इसमें अध्यक्ष और अन्य सदस्य शामिल होंगे. बयान में कहा गया है कि नये विधेयक के क्रियान्वयन के लिए नियम व नियमनों में संशोधन किया जाएगा. नये बीआइएस विधेयक में प्रस्तावित प्रावधानों से केंद्र व बीआइएस को गुणवत्ता वाली सेवाओं व उत्पादों की संस्कृति को प्रोत्साहन देने में मदद मिलेगी. इसमें यह भी प्रस्ताव किया गया है कि यदि आइएसआइ के निशान वाले तथा अन्य उत्पाद संबंधित भारतीय मानकों को पूरा नहीं करते हैं, तो उन्हें बाजार से वापस लिया जाएगा.
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