नयी दिल्ली : मल्टीप्लेक्स बाजार में विलय एवं अधिग्रहण के और एक बडे सौदे में पीवीआर लिमिटेड ने डीएलएफ के ‘डीटी सिनेमाज’ को 500 करोड रुपये में खरीद लिया है. पीवीआर ने आज बंबई शेयर बाजार को बताया कि कंपनी (पीवीआर) के निदेशक मंडल ने नौ जून, 2015 को हुई बैठक में डीएलएफ युटिलिटीज लिमिटेड के सिनेमा प्रदर्शन कारोबार को खरीदने का प्रस्ताव मंजूर कर लिया.’
कंपनी ने कहा, ‘पीवीआर लिमिटेड ने डीएलएफ युटिलिटीज लिमिटेड का सिनेमा दिखाने का कारोबार खरीदने के लिए उसके साथ पक्का समझौता किया है. डीएलएफ युटिलिटीज ‘डीटी सिनेमाज’ ब्रांड नाम के तहत चल चित्र कारोबार का परिचालन करती है. पीवीआर ने सभी सम्पत्तियों को एक ढेर के तौर पर करीब 500 करोड रुपये में खरीदने का सौदा किया है.’
रीयल एस्टेट क्षेत्र की दिग्गज डीएलएफ की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी डीटी सिनेमाज के पास 29 स्क्रीन हैं जिनमें 6,000 से अधिक लोगों के बैठने की सुविधा है. वहीं पीवीआर सिनेमाज के 43 शहरों में 105 सिनेमाघरों में 467 स्क्रीन हैं. पीवीआर ने कहा, ‘प्रस्तावित अधिग्रहण से 115 मल्टीप्लेक्सों और 506 स्क्रीन के साथ पीवीआर की उपस्थिति 44 शहरों में हो जाएगी.’
नवंबर, 2009 में भी डीएलएफ ने डीटी सिनेमाज को बेचने के लिए पीवीआर के साथ एक समझौता किया था, लेकिन फरवरी, 2010 में यह सौदा विफल हो गया. पीवीआर लिमिटेड के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक अजय बिजली ने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों से फिल्म प्रदर्शन कारोबार का सामान्य रूप से एवं अधिग्रहण के जरिए विस्तार करने की हमारी रणनीति रही है और यह अधिग्रहण इसी रणनीति का हिस्सा है.’
पिछले एक साल में मल्टीप्लेक्स क्षेत्र में अधिग्रहण एवं विलय के सौदों में तेजी आई है. इस साल जनवरी में मल्टीप्लेक्स श्रृंखला चलाने वाली मेक्सिको की कंपनी सिनेपोलिस ने एस्सेल ग्रुप के फन सिनेमाज का पूर्ण अधिग्रहण किया. इससे पहले, मीडिया व मनोरंजन कंपनी नेटवर्क18, स्टारगेज एंटरटेनमेंट में अपनी हिस्सेदारी कार्निवल फिल्म्स को बेचकर बाहर निकल गई. दिसंबर, 2014 में कार्निवल ग्रुप ने अनुमानित 700 करोड रुपये में अनिल अंबानी की अगुवाई वाले रिलायंस समूह से बिग सिनेमाज का अधिग्रहण किया.
जुलाई, 2014 में इनॉक्स लेजर ने गुडगांव स्थित सत्यम सिनेप्लेक्स का 182 करोड रुपये में अधिग्रहण किया. श्रादुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी पीवीआर के लिए कानूनी सलाहकार थी, जबकि ईवाई इंडिया एवं लूथरा एंड लूथरा ने डीएलएफ को क्रमश: वित्तीय एवं कानूनी सलाहकार के तौर पर सेवाएं दीं.
यह सौदा गैर प्रमुख कारोबार से बाहर निकलने एवं 20,000 करोड रुपये से अधिक के ऋण का बोझ घटाने की डीएलएफ की रणनीति का हिस्सा है. इस सौदे पर डीएलएफ के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक सौरभ चावला ने कहा, ‘यह सौदा प्रमुख कारोबार पर ध्यान देने की हमारी रणनीति के अनुरुप है. इससे प्रबंधन को मूल्यवर्धन की ओर अधिक ध्यान देने की सहूलियत मिलेगी.’
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