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अनावृष्टि से निपटने को सरकार चौकस
केरल तट पर 30 मई को मॉनसून पहुंचने की संभावना के बीच केंद्र सचेत नयी दिल्ली : मॉनसून के इस वर्ष सामान्य से कम रहने के अनुमानों की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने गुरुवार को कहा कि वह कम बरसात की हालात से उत्पन्न होनेवाली स्थितियों से निपटने के लिए हर संभव कदम […]
केरल तट पर 30 मई को मॉनसून पहुंचने की संभावना के बीच केंद्र सचेत
नयी दिल्ली : मॉनसून के इस वर्ष सामान्य से कम रहने के अनुमानों की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने गुरुवार को कहा कि वह कम बरसात की हालात से उत्पन्न होनेवाली स्थितियों से निपटने के लिए हर संभव कदम उठा रही है तथा राज्य सरकारों को भी इस मामले में चौकस रहने को कहा है.
हालांकि, मॉनसून के अपने निर्धारित समय से दो दिन पहले केरल तट पर 30 मई को पहुंचने की संभावना है, लेकिन मौसम विभाग ने लगातार दूसरे वर्ष सामान्य से कम बरसात होने की भविष्यवाणी की है. भारतीय कृषि मॉनसून की बरसात पर काफी निर्भर है, क्योंकि केवल खेती योग्य भूमि का केवल 40 प्रतिशत हिस्सा ही सिंचाई सुविधा के दायरे में आता है.
पिछले साल की तरह नहीं रहेगा मॉनसून
उपभोक्ता मामलों के सचिव केशव देसिराजू ने यहां कहा कि उम्मीद है कि मॉनसून पिछले साल की तरह नहीं होगा. इसका वास्तव में फसलों पर प्रभाव होगा, जो फसल अगले वर्ष उपलब्ध होगा और उपभोक्ता मामलों के सचिव की मेरी दृष्टि से हमें इस बात की चिंता है कि उपभोक्ताओं के लिए क्या उपलब्ध होगा.
उन्होंने कहा कि हर कदम उठाये जा रहे हैं.
राज्य सरकारें इसको लेकर पूरी तरह से चौकस हैं. मौसम विभाग ने भी बरसात कैसी रहेगी, इसके बारे में काफी सावधानीपूर्ण अनुमान जताया है. पिछले वर्ष देश में मानसूनी वर्षा 12 प्रतिशत कम रही थी. इससे कारण अनाज उत्पादन में करीब पांच प्रतिशत की गिरावट आयी थी.
उपभोक्ता संरक्षण कानून संशोधन जल्द होगा पेश
उपभोक्ता संरक्षण कानून में संशोधनों के बारे में बात करते हुए देसिराजू ने कहा कि इस विधेयक को संसद के पटल पर जल्द ही पेश किया जायेगा. इन संशोधनों में बाकी चीजों के अलावा अमेरिका और यूरोपीय देशों की तर्ज पर एक उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकार बनाने का प्रस्ताव है, ताकि शिकायतों के त्वरित निवारण की व्यवस्था की जा सके.
उन्होंने कहा कि इस प्राधिकार में एक वैयक्तिक उपभोक्ता अपना मामला उठा सकता है. इसके अलावा, कोई समूह उपभोक्ताओं का प्रतिनिधित्व कर सकता है. उन्होंने कहा कि इस प्राधिकार को कोई न्यायिक अधिकार नहीं होगा. खाद्य पदार्थ ‘मैग्गी नूडल’ में ‘एमएसजी’ के अधिक स्तर के मुद्दे के बारे में सचिव ने कहा कि कुछ है लेकिन मुङो विवरण पता नहीं है.
अनुमान से पूर्व श्रीलंका पहुंचा मॉनसून
अंडमान और निकोबार पर पिछले हफ्ते दस्तक दे चुका दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून ने गुरु वार को श्रीलंका पहुंच गया है. हालांकि, मौसम विभाग के आकलन के उलट मॉनसून की रफ्तार सुस्त है.
वहीं, पिछले शनिवार को मॉनसून ने अंडमान और निकोबार को अपनी चपेट में लिया था. मौसम विभाग ने उम्मीद जतायी थी कि अगले कुछ दिनों में मॉनसून पूरी तरह से बंगाल की खाड़ी में सक्रिय हो जायेगा. मौसम विभाग का आकलन था कि बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बन रहा है, जिसके चलते खाड़ी क्षेत्र में मॉनसून का आगमन जल्दी हो जायेगा. हालांकि, बुधवार को मौसम विभाग को अपने इस आकलन को वापस लेना पड़ा.
ऑस्ट्रेलियाई मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून को वायुमंडल के ऊपरी सतहों से सपोर्ट नहीं मिल पा रहा है, जिसके चलते मॉनसून के केरल तटों पर पहुंचने की स्थिति अभी साफ नहीं हो रही है. मौसम विभाग का ताजा अनुमान है कि श्रीलंका में दस्तक देने को बाद अब जल्द ही मॉनसून केरल के तटीय इलाकों पर दस्तक देगा.
आमतौर पर दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून को अंडमान और निकोबार पहुंचने के बाद केरल के तटों तक पहुंचने में 10 से 12 दिन लगते हैं. वहीं श्रीलंका पहुंचने के महज 2-3 दिनों के भीतर करेल के तटीय इलाकों पर मॉनसून सक्रिय हो जाता है.
खाद्यान्न उत्पादन घटने के आसार
विगत दो माह में खराब मॉनसून और बेमौसम बरसात से खाद्यान्नों का उत्पादन 5.25} घट कर 25 करोड़ 11.2 लाख टन रहने का अनुमान है. तिलहन व कपास का उत्पादन भी गिर गया. मार्च-अप्रैल में बेमौसम बरसात ने पहले ही किसानों को तकलीफ में डाला है और किसान आत्महत्या के भी कुछ मामले सामने आये. सामान्य से कम बरसात होने की भविष्यवाणी के साथ केंद्र ने 580 जिलों के लिए आपदा योजना तैयार की और किसानों के लिए फसल बीमा पर जोर दिया है.
राज्यों से कहा है कि मॉनसून की भविष्यवाणी पर आधारित रणनीतियों के साथ सामने आयें. यह निर्देश भी दिया गया है कि वे उर्वरकों, सूक्ष्म पोषक तत्वों और कीटनाशकों जैसे सामग्रियों के अलावा पहले से गुणवत्ता युक्त बीजों के पर्याप्त मात्र को पास रखें.
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