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बुनियादी ढांचा परियोजना में विभिन्न पक्षों के बीच बेहतर तालमेल चाहती है नरेंद्र मोदी सरकार

मुंबई : वित्त मंत्रालय ने रिजर्व बैंक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों तथा अन्य संबद्ध पक्षों से बडी ढांचागत परियोजनाओं से संबद्ध मुद्दों के समाधान के लिये समन्वय व्यवस्था स्थापित करने को कहा है ताकि निवेश चक्र को पटरी पर लाया जा सके. वित्तीय सेवा सचिव हसमुख अधिया, रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एस एस मुंदडा […]

मुंबई : वित्त मंत्रालय ने रिजर्व बैंक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों तथा अन्य संबद्ध पक्षों से बडी ढांचागत परियोजनाओं से संबद्ध मुद्दों के समाधान के लिये समन्वय व्यवस्था स्थापित करने को कहा है ताकि निवेश चक्र को पटरी पर लाया जा सके. वित्तीय सेवा सचिव हसमुख अधिया, रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एस एस मुंदडा तथा केंद्रीय बिजली मंत्रालय में विशेष सचिव आर एन चौबे की सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, आरइसी तथा पीएफसी के प्रमुखों के साथ बैठक में बिजली, इस्पात, सडक एवं बंदरगाह क्षेत्र की 85 बडी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की समीक्षा की गयी.

इन परियोजनाओं में बैंकों का 3.51 लाख करोड रुपये लगा है और इसमें से 4 प्रतिशत गैर-निष्पादित संपत्ति घोषित की जा चुकी है. बैठक के बाद अधिया ने संवाददाताओं से कहा, ‘बैठक का मुख्य मकसद कुछ बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के फंसे होने के विभिन्न कारणों को समझना था. साथ ही अटकी पडी परियोजनाओं से निपटने के लिये समन्वित प्रणाली स्थापित करना था.’ बैठक में बैंकिंग क्षेत्र का प्रतिनिधित्व 13 सदस्यों ने किया. इसमें भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्सन अरुधंती भट्टाचार्य, भारतीय बैंक संघ (आइबीए) के प्रमुख टी एम भसीन, आइडीबीआई बैंक के एम एस राघवन, आंध्र बैंक के एस राजेन्द्रन समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.

बैठक में बिजली वित्त निगम और ग्रामीण विद्युतीकरण निगम के अधिकारी भी शामिल हुए. यह बैठक ऐसे समय हुई है जब कंपनियों ने यह शिकायत करनी शुरू कर दी है कि सरकार की तरफ से बेहतर प्रयासों के बावजूद जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हो रहा है. इसका संकेत इस बात से मिलता है कि बैंकों द्वारा कंपनियों को दिये जाने वाले कर्ज में लगभग स्थिर वृद्धि है. मुंदडा ने मीडिया से कहा कि केंद्रीय बैंक अटकी पडी परियोजनाओं से जुडे सभी मुद्दों की समीक्षा करेगा. उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्रालय पिछले कुछ समय से अटकी पडी परियोजनाओं से संबद्ध मुद्दों को सुलझाने की कोशिश कर रहा है. पिछली मनमोहन सिंह सरकार ने भी इसी प्रकार की बैठकें बुलायी थी.

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