वाशिंगटन/नयी दिल्ली : ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर उसके और पश्चिमी देशों के बीच गतिरोध दूर होने से आयात की मात्रा तथा भुगतान प्रतिबंध हटने से भारत जैसे ईरानी तेल के बडे खरीदारों को फायदा होने की संभावना है. अमेरिकी तथा उसके सहयोगी देशों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर लगाम लगाने के लिये आर्थिक प्रतिबंध लगाये थे जिसमें भारत जैसे देशों को खाडी देश से तेल खरीद में कटौती करना शामिल है.
इसके बाद भारत ने तेल आयात में कटौती की और यह 2013 में घटकर 1.1 करोड टन पर आ गया जो पांच साल पहले 1.8 करोड टन था. भारत को तेल आपूर्ति करने वालों देशों में ईरान प्रमुख है. ईरान और विश्व के कुछ अन्य प्रमुख देश स्विट्जरलैंड में लंबी वार्ता के बाद तेहरान के परमाणु अभियान पर नियंत्रण के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक समझौते की रुपरेखा पर कल सहमत हुए. ईरान और पश्चिमी देशों के बीच 12 साल से चल रहे गतिरोध में इसे बडी सफलता माना जा सकता है.
पश्चिमी देशों को आशंका रही है कि तेहरान एक परमाणु बम बनाना चाहता है. यूरोपीय संघ में विदेश नीति प्रमुख फेड्रिका मोघरिनी ने आठ दिन की वार्ता के बाद कहा कि ईरान ने कठिन पाबंदियों को हटाने के बदले परमाणु कार्यक्रम पर लगाम कसने पर सहमति जता दी है. समझौते की जिस रुपरेखा पर सहमति बनी है उसे 30 जून तक एक व्यापक समझौते के तौर पर अंतिम रूप दिया जाएगा.
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