वाशिंगटन : अमेरिकियों की जगह नियुक्त किए जाने वाले एच-1बी वीजा प्राप्त कर्मचारियों का कौशल निम्नस्तरीय और व्यावसायिक ज्ञान न के बारबर होता है. यह बात भारत की प्रमुख सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी इन्फोसिस के अंदर की जानकारियां देने वाले एक कर्मचारी (व्हिसलब्लोअर) ने कही है. उसने अमेरिकी सांसदों से आग्रह किया है कि इस खंड के वीजा की संख्या न बढाएं और आव्रजन प्रणाली की खामियां दूर करें.
गौरतलब है कि जे बी पामर ने इन्फोसिस के खिलाफ वीजा धोखाधडी का एक मामला उजागर किया किया था जिसको निपटाने के लिए कंपनी को 3.4 करोड डालर का भुगतान करना पडा था. अमेरिका इतिहास में यह इस तरह का सबसे बडा मामला था. पामर ने आरोप लगाया है कि जिसे भी चुना जाता है, चाहे उसके पास जो भी कौशल हो, एच-1बी कर्मचारी जब अमेरिका आते हैं तो उन्हें यहां पहुंचने पर आवश्यक कौशल सीखने होते हैं.
पामर ने सीनेट की न्यायिक मामलों की समिति के सामने कहा, ‘मैं यही कह सकता हूं कि अमेरिकी कर्मचारियों की जगह लेने वाले एच-1बी वीजा पर आने वाले कर्मचारियों का कौशल का स्तर निम्न कोटि का है और कारोबारी ज्ञान बहुत थोडा या न के बराबर है. ज्ञान हस्तांतरण का विचार बेकार है.
अमेरिकी इन लोगों को काम करने के संबंध में प्रशिक्षित कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा ‘यही कडवा सच है. आंकडों से साबित होगा कि इनमें से ज्यादातर के पास सिर्फ स्नातक की डिग्री है. ये विशेज्ञता प्राप्त प्रतिभा कैसे हैं.’ पामर ने आरोप लगाया कि इन्फोसिस जैसी कंपनियां बी1 एवं एच1बी जैसे वीजा कानूनों और आयकर तथा प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग के दिशानिर्देश का उल्लंघन अब भी कर रही हैं.
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