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चार नये इस्पात कारखानों में 1.5 लाख करोड रुपये निवेश करेगा केंद्र

राउरकेला: केंद्र ने आज कहा कि वह चार राज्यों की सरकारों के साथ सहयोग से चार नये इस्पात कारखाने लगाएगा जिनमें 1,50,000 करोड रुपये निवेश करेगा. इन कारखानों की कुल क्षमता 2-0-2-4 करोड टन होगी.केंद्रीय इस्पात व खान मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यहां एक समीक्षा बैठक के अवसर पर यह जानकारी दी. उन्होंने कहा,‘हमने […]

राउरकेला: केंद्र ने आज कहा कि वह चार राज्यों की सरकारों के साथ सहयोग से चार नये इस्पात कारखाने लगाएगा जिनमें 1,50,000 करोड रुपये निवेश करेगा. इन कारखानों की कुल क्षमता 2-0-2-4 करोड टन होगी.केंद्रीय इस्पात व खान मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यहां एक समीक्षा बैठक के अवसर पर यह जानकारी दी. उन्होंने कहा,‘हमने चार नये इस्पात कारखाने तथा इन कारखानों को कच्चे माल की आपूर्ति के लिए चार समर्पित खनन कंपनियां बनाने का फैसला किया है. चार राज्यों में ये कारखाने संबंधित राज्य सरकारों के सहयोग से लगाए जाएंगे.

’तोमर ने कहा,‘हमने हर कारखाने के लिए 60 लाख टन क्षमता का लक्ष्य रखा है. हर 10 लाख इस्पात के उत्पादन क्षमता और उससे जुडी खानों के विकास की लागत लगभग 6000 करोड रुपये आती है. इस हिसाब से इन कारखानों पर कुल निवेश 1,50,000 करोड रुपये से अधिक होगा.

तोमर ने कहा,‘हमने हर कारखाने व खनन कंपनियों के लिए विशेष उद्देश्यीय कंपनी (एसपीवी) बनाने का फैसला किया है. हम पहले ही राज्य सरकारों से चर्चा कर रहे हैं. मेरी छत्तीसगढ व ओडिशा के साथ सकारात्मक बातचीत हुई है. शीघ्र ही हम कर्नाटक व झारखंड सरकार से चर्चा करेंगे.

तोमर ने कहा कहा कि ‘मेड इन इंडिया’ अवधारणा पर जोर देने तथा इस्पात क्षमता 2025 तक बढाकर 30 करोड टन करने के लिए नई क्षमता की योजना बनाई गई है. योजना के तहत सेल छत्तीसगढ में, राष्ट्रीय इस्पात निगम ओडिशा में, एनएमडीसी झारखंड व कर्नाटक में निवेश करेगी.

सेल के चेयरमैन सी एस वर्मा ने कहा कि प्रत्येक परियोजना के लिए एसपीवी का ब्यौरा अभी तैयार किया जाना है. तोमर ने विश्वास जताया कि खनन क्षेत्र में अब पारदर्शिता आने से इस्पात उद्योग संगठन से उबर जाएगा. उन्होंने कहा कि खान एवं खनिज विकास विनियमन संशोधन अध्यादेश के बाद खनिज उत्पादक राज्यों को खनिजों के अंरराज्यीय व्यापार को रोकने कोई अतिरिक्त अधिकार नहीं होगा. इससे लौह अयस्क के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर पश्चिम बंगाल जैसे जैसे राज्यों को इस्पात कारखाने आमंत्रित करने में मदद मिलेगी.

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