मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड (एमएमओपीएल) को वरसोवा-घाटकोपर रुट पर बढा हुआ शुल्क वसूलने की आज अनुमति दे दी. अदालत ने कंपनी की यह दलील मान ली कि एमएमओपीएल को रोजाना 85 लाख रुपये का नुकसान हो रहा है.
11.4 किलोमीटर के वरसोवा-अंधेरी-घाटकोपर मार्ग पर प्रतिदिन करीब 2.65 लाख यात्री मेट्रो रेल से यात्रा करते हैं. उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद रिलायंस इंफ्रा और एमएमआरडीए (महाराष्ट्र सरकार की ढांचागत कंपनी) की संयुक्त उद्यम कंपनी एमएमओपीएल अब 10 रुपये, 20 रुपये, 30 रुपये और 40 रुपये किराया वसूलेगी, जबकि वर्तमान में किराया 10 रुपये, 15 रुपये और 20 रुपये है.
मुख्य न्यायधीश मोहित शाह और न्यायमूर्ति बी.पी. कोलाबावाला की खंडपीठ ने एकल पीठ के फैसले के खिलाफ एमएमआरडीए की अपील खारिज कर दी; एकल पीठ ने कहा था कि किराया तय करने का सरकार के पास कोई अधिकार नहीं है.
न्यायालय के इस फैसले के बाद कयास लगाये जा रहे हैं कि कंपनी अपने घाटे को समाप्त करने के लिए किराये में दोगुना तक बढ़ोतरी कर सकती है. हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से गठित मेट्रो फेयर फिक्सेशन कमिटी को भी तीन महीनों में किराये का ढांचा तय करने निर्देश दिया.
अगर कमिटी का तय किया गया किराया एमएमओपीएल के प्रस्तावित किराए से कम हुआ तो यात्रियों को इसका नफा-नुकसान मिलेगा. जून 2014 से मुबंई में मेट्रो चलाने वाले एमएमओपीएल ने वर्सोवा-अंधेरी-घाटकोपर रूट पर शुरुआती किराया 10 से 40 रुपये रखा था, लेकिन एमएमआरडीए इसके खिलाफ हाई कोर्ट में चला गया था. एमएमआरडीए का कहना था कि किराया समझौते के मुताबिक 9 से 13 रुपये के बीच रहना चाहिए.
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