न्यूयॉर्क : भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अरविंद पनगढिया ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नवगठित नीति आयोग के पहले उपाध्यक्ष के तौर पर नियुक्त किए जाने से सम्मानित महसूस कर रहे हैं. यह संस्था 65 साल पुराने योजना आयोग की जगह लेगी.
कोलंबिया विश्वविद्यालय द्वारा कल यहां जारी एक बयान में पनगढिया के हवाले से कहा गया है, मैं इस नियुक्ति से सम्मानित महसूस कर रहा हूं और मैं प्रधानमंत्री मोदी और भारत के नीति-निर्माताओं के साथ काम करने के इंतजार में हूं. पनगढिया इस विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर है. वह नीति आयोग में कार्यकरने के लिए विश्वविद्यालय से अवकाश लेंगे.
बयान के मुताबिक 62 वर्षीय प्रोफेसर ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि जब भी मौका मिलेगा वह कोलंबिया विश्वद्यालय के अंतरराष्ट्रीय एवं लोककार्य विभाग से सम्पर्क में रहेंगे और अपना नये काम के पूरा होने के बाद विश्वविद्यालय से पुन: जुड जाएंगे.
नीति आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में पंगढ़िया केंद्रीय मंत्री के दर्जे के साथ प्रधानमंत्री मोदी के साथ मिलकर काम करेंगे. प्रधानमंत्री होने के नाते मोदी संस्था के अध्यक्ष होंगे.
मोदी के गुजरात मॉडल के समर्थक रहे पनगढिया ने भाजपा के नेतृत्ववाली सरकार के बनने के बाद कहा था कि वह चाहते हैं कि यह सरकार को पहले बजट में ऊंचे राजकोषीय घाटे का जोखिम उठाते हुए पूंजी व्यय बढाना चाहिए.
नयी भूमिका मिलने से ठीक पहले उन्होंने एक नया पाठ्यक्रम – व्यापार, वृद्धि और विकास के मुद्दे – शुरु किया था. इसके अलावा पनगढिया टेंपलटन फाउंडेशन द्वारा वित्तपोषित ‘भारतीय आर्थिक नीति’ संबंधी कार्यक्रम के भी निदेशक रहे हैं.
कोलंबिया विश्वविद्यालय के बयान में कहा गया कि इस कार्यक्रम के तहत कई किताबें लिखी गईं और अनुसंधान किए गए, जिनमें प्रमुख हैं पी.एन. भगवती और पनगढिया द्वारा लिखी गई ‘इंडियाज ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’. इनकी वजह से भारत के आम चुनाव के दौरान आर्थिक नीति पर बहस को एक दिशा मिली. इन चुनावों में सफलता से मोदी देश के प्रधानमंत्री बने.
पनगढिया की सबसे नई किताब है ‘व्हाय ग्रोथ मैटर्स’ जो उन्होंने भगवती के साथ लिखा है और इसे आर्थिक लेखन खंड में एकल्स पुरस्कार मिला है, इसे फिनांशियल टाइम्स ने साल की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक भी करार दिया है.
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