नई दिल्ली : रक्षा क्षेत्र में 26 प्रतिशत की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया. रक्षा उत्पादन क्षेत्र में इस सीमा से अधिक एफडीआई प्रस्तावों पर मंत्रिमंडल की रक्षा समिति विचार करेगी. यह निर्णय प्रधानमंत्री की आज विभिन्न मंत्रालयों के साथ एफडीआई मुद्दे पर हुई बैठक में लिया गया.
बैठक के बाद वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने संवाददाताओं से कहा ‘‘रक्षा क्षेत्र में एफडीआई सीमा 26 प्रतिशत पर बनी रहेगी. अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी वाले इससे अधिक के एफडीआई प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल की रक्षा समिति (सीसीएस) में विचार किया जायेगा.’’ शर्मा ने कहा कि अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी की परिभाषा क्या होगी यह रक्षा मंत्रालय तय करेगा.
रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने फैसले पर अपनी टिप्पणी में कहा पेश की जाने वाली प्रौद्योगिकी की गुणवत्ता को देखते हुये ही सीसीएस उसके एफडीआई प्रस्ताव पर फैसला लेगी.
रक्षा क्षेत्र में एफडीआई का यह निर्णय रक्षा मंत्री एंटनी के निश्चय के अनुरुप है. उन्होंने हाल ही में शर्मा को रक्षा क्षेत्र में एफडीआई सीमा बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने की दिशा में की जा रही पहल का विरोध किया था.
एंटनी ने रक्षा क्षेत्र में एफडीआई सीमा बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने के वाणिज्य मंत्रालय के प्रस्ताव का विरोध किया था. रक्षा क्षेत्र में 26 प्रतिशत से अधिक एफडीआई के प्रस्ताव यदि देश में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी लाने के उद्देश्य से आते हैं तो ऐसे मामलों में प्रत्येक प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल की रक्षा समिति में विचार किया जा सकता है.
एंटनी ने इस महीने के शुरु में शर्मा को लिखे पत्र में कहा था कि रक्षा क्षेत्र मे एफडीआई सीमा नहीं बढ़नी चाहिये क्योंकि ऐसे मामलों में विदेशी कंपनियों पर निर्भर नहीं रहा जा सकता और उनके देशों की नीतियों के प्रति संवेदनशील नहीं बना रहा जा सकता.’’
उन्होंने पत्र में लिखा ‘‘विदेशी कंपनियों को देश में उनकी विनिर्माण अथवा एसेंबली सुविधायें खड़ी करने की अनुमति देना प्रतिगामी कदम होगा क्योंकि इससे घरेलू कंपनियों को नुकसान होगा और उनकी विकास गति बाधित होगी. दूसरी तरफ आधुनिक हथियारों के लिये विदेशों पर हमारी निर्भरता बनी रहेगी.’’
रक्षा मंत्रालय देश में आयुध फैक्टरी बोर्ड की क्षमता विकास और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में अगले पांच साल के दौरान 15,000 करोड़ रूपये के निवेश की योजना बना रहा है.
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