नयी दिल्ली : कई दिनों का इंतजार अब समाप्त होने वाला है. सरकार ने कोयला खानों की नीलामी की प्रक्रिया पर विचार कर लिया है और यह 11 फरवरी को शुरु होगी. कंपनियों द्वारा आक्रामक तरीके से बोली लगाये जाने की संभावना है लेकिन इससे बिजली दरों में वृद्धि की आशंका नहीं है क्योंकि सरकार ने बोली को नियमित करने के लिये नियम बनाये हैं.
उच्चतम न्यायालय द्वारा सितंबर में रद्द 204 कोयला खानों में से पहली खेप की नीलामी के लिये रखे गये नियमों के मसौदा के अनुसार खानों का आबंटन इस धन की खपत करने वाली बिजली उत्पादन कंपनियों जैसी विशिष्ट फर्मों को ही की जाएगी और कंपनियों पर एक नियत संख्या से अधिक ब्लाक के लिए बोली लगाने पर पाबंदी होगी.
कोयला सचिव अनिल स्वरुप ने नियमों के मसौदे को जारी करते हुए कहा, यह हमारा प्रयास है कि इस नीलामी के कारण बिजली दरें नहीं बढें. हम एक व्यवस्था तैयार करने की प्रक्रिया में हैं जिसे अभी अंतिम रुप नहीं दिया गया है. शुल्क को काबू में रखना जरुरी है. स्वरुप ने यह भी कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि किसी एक इकाई का खानों पर एकाधिकार नहीं हो.
एकाधिकार से बचने के लिये कंपनियों पर एक नियत संख्या से अधिक ब्लाक के लिए बोली लगाने पर पाबंदी होगी. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, बोली की तारीख 11 फरवरी के आसपास होगी. हम उम्मीद करते हैं कि तीन मार्च तक तकनीकी बोली पात्रता को अंतिम रुप दे दिया जाएगा.
नीलामी 6 मार्च को होगी और हमें आशा है कि हम 16 मार्च तक आदेश जारी करने में सक्षम होंगे. सरकार की पहली खेप में 72 कोयला खानों की नीलामी की योजना है. इनमें से 42 वे खानें हैं जिनमें कोयले का उत्पादन हो रहा है और न्यायालय ने 31 मार्च तक इनमें उत्पादन जारी रखने की छूट दे रखी है. वहीं 32 कोयला खानें वे हैं जो उत्पादन शुरु करने की स्थिति में आ चुकी हैं.
इसके लिये अनुरोध प्रस्ताव 22 दिसंबर 2014 को जारी किया जाएगा और तकनीकी बोली के लिये तारीख 11 फरवरी है. तकनीकी बोली 3 मार्च को खोली जाएगी और सरकार को उम्मीद है कि 16 मार्च तक खानों का आबंटन कर दिया जाएगा. 42 उत्पादक खानें फिलहाल करीब 9 करोड टन कोयला सालाना उत्पादन कर रही हैं और शेष 32 उत्पादन के लिये तैयार खानों में 12 करोड टन उत्पादन की क्षमता है.
सफल बोलीदाताओं को कोयला खान के लिये राशि देने के अलावा इन खानों में पहले से रखे गये संयंत्र और उपकरणों के लिये मूल्य देना होगा. इन खानों के मौजूदा परिचालकों को उनके निवेश का उचित मूल्य मिलेगा लेकिन उनके पास पहले इनकार का अधिकार नहीं होगा. स्वरुप के अनुसार सरकार को उम्मीद है कि मार्च के अंत तक ऐसी कोई व्यवस्था स्थापित कर दी जाएगी जो इन खानों को देखेगी.
अनुरोध प्रस्तावों को इस साल 22 दिसंबर तक अंतिम रुप दे दिया जाएगा. सरकार ने नियमों का मसौदा आज सार्वजनिक किया और संबंधित पक्षों से 24 नवंबर तक टिप्पणी देने को कहा है. उन्होंने कहा कि इन 74 कोयला खानों का आवंटन केवल स्पष्ट रुप से वर्णित ऐसी इकाइयों को ही किया जाएगा जो कोयले का अंतिम रुप से इस्तेमाल करने वाली होंगी.
इन 74 कोयला खानों में दो श्रेणियां होंगी. एक श्रेणी में ऐसी खानें होंगी जिन्हें नीलामी के लिये रखा जाएगा और दूसरे में ऐसी खानें होंगी जो राज्य या सरकारी इकाइयों को आबंटित की जाएगी. उन्होंने कहा कि नीलामी के लिये आने वाली कंपनियों को 295 रुपये प्रति टन अतिरिक्त शुल्क देने होंगे जो उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में तय किया है.
कोयला ब्लाकों की नीलामी के लिये जारी अध्यादेश के प्रावधानों को क्रियान्वित करने के लिये नियमों का यह मसौदा तैयार किया गया है. कोयला खानों की ई-नीलामी को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मंजूरी मिल गयी है. केंद्र सरकार इसके लिए संयुक्त सचिव (कोयला) विवेक भारद्वाज को पहले ही नामित प्राधिकारी नियुक्त कर चुकी है.
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