नयी दिल्ली: बाजार नियामक सेबी नये मनी लांड्रिंग निरोधी निदेशानिर्देशों को अंतिम रूप दे रहा है. इसका मकसद पूंजी बाजार के जरिये काले धन को वैध बनाने के संभावित उपायों पर रोक लगाना है.
इसके दायरे में ब्रोकर तथा म्यूचुअल फंड जैसी इकाइयां आयेंगी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अगले कुछ सप्ताह में तैयार होनेवाला दिशानिर्देश सेबी के मौजूदा एएमएल सीएफटी (एंटी मनी लांड्रिंग एंड कांबैटिंग द फाइनेंसिंग ऑफ टेरोरिज्म)का स्थान लेगा. मौजूदा कानून करीब 10 साल पहले बना था और पिछली बार इसे 2010 में बड़े पैमाने पर संशोधित किया गया था.
सेबी का मानना है कि हालांकि किसी संभावित मनी लांड्रिंग या आतंकवाद के लिये वित्त पोषण संबंधी गतिविधियों को रोकने के लिये पहले से व्यवस्था स्थापित है लेकिन इस मोर्चे पर बाजार नियामक तथा सरकार द्वारा उठाये गये विभिन्न कदमों के आधार पर इसे मजबूत बनाने की जरूरत है.
इसके अलावा प्रौद्योगिकी के कारण जो नयी चुनौतियां सामने आयी हैं, उससे निबटने तथा एफएटीएफ (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) जैसे वैश्विक संगठनों द्वारा निर्धारित नये मानकों के अनुरूप इसे तैयार करने के लिये इस प्रकार का कदम उठाना जरूरी है. सेबी दिशानिर्देशों को अंतिम रूप देने से पहले अन्य देशों के अपने समकक्ष निमायकों से भी सलाह ले सकता है.
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