नयी दिल्ली: सीबीआई ने बीमा नियामक इरडा के अधिकारियों द्वारा 2009 में रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड पर करीब 17,500 करोड रुपये के जुर्माने को कथित तौर पर कम करने के लिए जांच शुरु की है.
सीबीआई सूत्रों ने आज यहां कहा कि जांच एजेंसी ने अपनी जांच में रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी और इरडा के ‘अज्ञात अधिकारियों’ को नामजद किया है.सीबीआई की प्रवक्ता कंचन प्रसाद ने कहा, ‘‘ सीबीआई ने इरडा और एक निजी कंपनी के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ आरंभिक जांच दर्ज की है. इन पर आरोप है कि इरडा के दिशानिर्देशों के उल्लंघन के 3.5 लाख मामलों में कंपनी पर 17,500 करोड रुपये की जगह करीब 20 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया.’’
2009 में इरडा के जुर्माने के आदेश के मुताबिक, कंपनी ने 3.5 लाख पालिसियां बेची थीं और प्रत्येक पालिसी में एक उल्लंघन किया गया जिससे कंपनी पर 17,500 करोड रुपये का जुर्माना बनता है. लेकिन वास्तव में कंपनी पर केवल 20 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया.इस आदेश पर दस्तखत करने वाले तत्कालीन इरडा चेयरमैन जे. हरि नारायण से पहले ही पूछताछ की जा चुकी है. सीबीआई सूत्रों ने कहा कि वे यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या यह अनजाने में हुआ या जानबूझकर ऐसा किया गया.ये आरोप रिलायंस हेल्थकेयर पालिसी से संबद्ध है जिसे आवश्यक मंजूरियों के लिए इरडा के पास 2005 में भेजा गया था और 2006 में इसे मंजूरी दी गई.
रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के एक प्रवक्ता ने कहा कि इस मामले में 17,500 करोड रुपये जुर्माना लगाया जाना चाहिए था, यह आरोप निराधार है और इसका कोई कानूनी आधार नहीं है.पांच साल पहले इन पालिसियों के तहत एकत्र किया गया कुल प्रीमियम 80 करोड रुपये था, जबकि इनमें 140 करोड रुपये के दावों का निपटान किया गया जिससे कंपनी को भारी नुकसान उठाना पडा.उसने कहा, ‘‘ हम इस मामले में इरडा द्वारा इस्तेमाल किए गए विवेकाधिकारों की जांच का स्वागत करते हैं.’’
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