सरकार ने मार्च तिमाही के लिए मंत्रालयों और विभागों की खर्च सीमा घटायी

नयी दिल्ली : सरकार की राजस्व प्राप्ति में कमी को लेकर चिंता अब दिखने लगी है. उसने चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही के दौरान सरकारी खर्च में कटौती के उपाय शुरू कर दिये हैं. इसके तहत जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान खर्च सीमा को कम कर दिया गया है. सरकार ने अपने सभी विभागों से […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 31, 2019 9:24 PM

नयी दिल्ली : सरकार की राजस्व प्राप्ति में कमी को लेकर चिंता अब दिखने लगी है. उसने चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही के दौरान सरकारी खर्च में कटौती के उपाय शुरू कर दिये हैं. इसके तहत जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान खर्च सीमा को कम कर दिया गया है. सरकार ने अपने सभी विभागों से कहा है कि वह जनवरी-मार्च 2020 तिमाही के दौरान अपने खर्च को बजट अनुमान के 25 फीसदी तक सीमित रखें.

वित्त मंत्रालय के बजट प्रभाग द्वारा जारी हाल में जारी एक ज्ञापन में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार की वित्तीय स्थिति को देखते हुए यह तय किया गया है कि चालू वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही और आखिरी महीने में खर्च को सीमित किया जाये. इसमें कहा गया है कि मार्च तिमाही में विभागों का खर्च उनके बजट अनुमान के 25 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए. इससे पहले यह सीमा 33 फीसदी तक थी.

इसी प्रकार, वित्त वर्ष के आखिरी महीने में यह खर्च बजट अनुमान के 10 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए. पहले यह सीमा 15 फीसदी रखी गयी थी. इसमें कहा गया है कि अंतिम तिमाही के पहले दो माह में खर्च विभागों के वर्ष के बजट अनुमान के 15 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए. मौजूदा सीमा 18 फीसदी है.

ज्ञापन में कहा गया है कि संसद की पूर्वानुमति की आवश्यकता वाले अनुदान में बचत के दोबारा आवंटन के जरिये किये जाने वाले खर्च को संसद से अनुपूरक अनुदान मांगों को मंजूरी मिलने के बाद ही खर्च किया जाना चाहिए. कोई भी अतिरिक्त व्यय संसद की मंजूरी मिलने के बाद ही होगा.

मंत्रालय के ज्ञापन में कहा गया है कि मंत्रालयों और विभागों से आग्रह किया जाता है कि इन दिशा-निर्देशों का कड़ाई के साथ पालन करें और चालू वित्त वर्ष के दौरान इसी के मुताबिक खर्च का नियमन करें. हालांकि, इसमें स्पष्ट किया गया है कि बड़े खर्च वाली मद के मामले में इससे पहले जारी दिशा-निर्देशों का ही अनुसरण किया जायेगा.

व्यय के बारे में दिशा-निर्देशों में आखिरी बार 2017 में संशोधन किया गया था. तब यह तय किया गया था कि वर्ष की अंतिम तिमाही और आखिरी महीने में खर्च को बजट अनुमान का क्रमश: 33 फीसदी और 15 फीसदी तक सीमित रखा जायेगा. व्यय दिशा-निर्देशों में यह संशोधन ऐसे समय किया गया है, जब सरकार पर चालू वित्त वर्ष के लिए तय 3.3 फीसदी के राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए दबाव बढ़ा है.

उल्लेखनीय है कि राजकोषीय घाटा इस साल अक्टूबर अंत में ही 2019-20 के बजट अनुमान का 102.4 फीसदी तक पहुंच चुका है. आर्थिक क्षेत्र में यह चर्चा जोरों पर है कि इस साल राजकोषीय घाटा बजट में रखे गये अनुमान से ऊपर निकल सकता है. विनिवेश के मोर्चे पर प्राप्ति काफी कम रहने और कर वसूली भी बजट अनुमान से कम रहने के मद्देनजर वित्तीय घाटा बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है.

केंद्र सरकार की प्रत्यक्ष कर प्राप्ति नवंबर तक 5 फीसदी बढ़ी है, जबकि मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष के दौरान इसके 15 फीसदी बढ़कर 13.80 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया है. वहीं, अप्रत्यक्ष कर और जीएसटी से प्राप्त होने वाले राजस्व के मामले में विभिन्न कारणों से चिंता बढ़ी है.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर के दौरान केंद्रीय जीएसटी संग्रह बजट अनुमान के मुकाबले करीब 40 फीसदी कम रहा है. अप्रैल-नवंबर के दौरान केंद्रीय जीएसटी संग्रह 3,28,365 करोड़ रुपये रहा है, जबकि इन महीनों के लिए बजट अनुमान 5,26,000 करोड़ रुपये रखा गया है.

Next Article

Exit mobile version