”मनमोहन सिंह और रघुराम राजन का कार्यकाल सार्वजनिक बैंकों के लिए था सबसे बुरा दौर”

न्यू यॉर्क : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हालत के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के दौर को जिम्मेदार ठहाराया. उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह और राजन का कार्यकाल सरकारी बैंकों के लिए सबसे बुरा दौर था. सीतारमण ने मंगलवार को कोलंबिया […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 16, 2019 4:07 PM

न्यू यॉर्क : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हालत के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के दौर को जिम्मेदार ठहाराया. उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह और राजन का कार्यकाल सरकारी बैंकों के लिए सबसे बुरा दौर था. सीतारमण ने मंगलवार को कोलंबिया यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स में एक व्याख्यान में कहा कि सभी सार्वजनिक बैंकों को नया जीवन देना आज मेरा पहला कर्तव्य है.

वित्त मंत्री ने कहा कि मैं रघुराम राजन का एक महान विद्वान के रूप में सम्मान करती हूं. उन्हें उस समय केंद्रीय बैंक में लिया गया, जब भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी के दौर में थी. आरबीआई के पूर्व गवर्नर राजन की मोदी सरकार पर टिप्पणी को लेकर सीतारमण ने कहा कि राजन के दौर में ही बैंक लोन से जुड़ी काफी दिक्कतें थी.

राजन ने हाल ही में ब्राउन यूनिवर्सिटी में एक व्याख्यान में मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि पहले कार्यकाल में नरेंद्र मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर अच्छा प्रदर्शन नहीं किया. इसकी वजह किसी भी फैसले के लिए नेतृत्व पर बहुत ज्यादा निर्भरता थी. साथ ही, नेतृत्व के पास निरंतर और तार्किक दृष्टिकोण नहीं था कि कैसे आर्थिक वृद्धि हासिल की जाए.

वित्त मंत्री ने कहा कि रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में वह राजन का ही कार्यकाल था, जब साठगांठ करने वाले नेताओं के फोन भर से कर्ज दिया गया. इस मुश्किल से बाहर निकलने के लिए बैंक आज तक सरकारी पूंजी पर निर्भर हैं. उन्होंने कहा कि डॉक्टर सिंह प्रधानमंत्री थे और मुझे भरोसा है कि डॉक्टर राजन इस बात से सहमत होंगे कि सिंह भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर निरंतर स्पष्ट दृष्टिकोण रखते थे.

सीतारमण ने कहा कि मैं यहां किसी का मजाक नहीं बना रही हूं, लेकिन उनकी तरफ से आये बयान पर मैं प्रतिक्रिया देना चाहती थी. मुझे यकीन है कि राजन जो भी कहते हैं, उसे सोच-समझकर कहते हैं, लेकिन मैं आज यहां ये स्पष्ट करना चाहती हूं कि भारत के सार्वजनिक बैंक उतने बुरे दौर से नहीं गुजर रहे हैं, जितने मनमोहन सिंह और राजन के दौर में गुजर रहे थे. उस समय हममें से कोई इस बात को नहीं जानता था.

वित्त मंत्री ने कहा कि मैं आभारी हूं कि राजन ने परिसंपत्ति की गुणवत्ता की समीक्षा की, लेकिन मुझे खेद है कि क्या हम सब भी यह सोच सकते हैं कि आज हमारे बैंकों को क्या परेशानी है? यह कहां से विरासत में मिला है? इस कार्यक्रम में नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया, जाने-माने अर्थशास्त्री जगदीश भगवती और न्यू यॉर्क में भारत के महावाणिज्य दूत संदीप चक्रवर्ती ने भी शिरकत की.

एक सवाल के जवाब में सीतारमण ने कहा कि अगर किसी को ऐसा लगता है कि अब नेतृत्व का केंद्रीकरण हो गया है, तो मैं कहना चाहती हूं कि बहुत लोकतांत्रिक नेतृत्व ने ही बहुत सारे भ्रष्टाचार को जन्म दिया है.

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