Reliance-BP Oil Block के लिए वेदांता और ओएनजीसी ने लगायी पहली बोली

नयी दिल्ली : रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) और उसकी ब्रिटिश साझीदार कंपनी बीपी पीएलसी ने हालिया लाइसेंसिंग दौर में तेल एवं गैस नीलामी में आठ साल में पहली बार बोली लगायी है. रिलायंस-बीपी ने 32 में से एक तेल ब्लॉक के लिए बोली दी है. वहीं, खनन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी वेदांता ने 30 ब्लॉक जबकि […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 16, 2019 7:01 PM

नयी दिल्ली : रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) और उसकी ब्रिटिश साझीदार कंपनी बीपी पीएलसी ने हालिया लाइसेंसिंग दौर में तेल एवं गैस नीलामी में आठ साल में पहली बार बोली लगायी है. रिलायंस-बीपी ने 32 में से एक तेल ब्लॉक के लिए बोली दी है. वहीं, खनन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी वेदांता ने 30 ब्लॉक जबकि ओएनजीसी ने 20 ब्लॉक के लिए बोली गयी है.

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खुला क्षेत्र लाइसेंसिंग नीति (ओएएलपी) के दूसरे दौर में 14 तेल एवं गैस खोज ब्लॉक और तीसरे दौर में 18 तेल एवं गैस ब्लॉक और 5 कोल बेड मेथेन (सीबीएम) की पेशकश की गयी थी. यह पेशकश बुधवार को बंद हुई. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि वेदांता ने 30 क्षेत्रों के लिए बोली लगायी है. ओएएलपी के पहले दौर में वेदांता को 55 में से 41 ब्लॉक मिले थे.

सूत्रों ने कहा कि ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) ने 20 ब्लॉक के लिए जबकि ऑयल इंडिया लिमिटेड ने 16 ब्लॉक के लिए बोली लगायी है. इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, गेल इंडिया और सनपेट्रो ने दो-दो ब्लॉक के लिए बोली जमा की है. रिलायंस-बीपी ने कृष्णा गोदावरी बेसिन में एक ब्लॉक के लिए बोली लगायी है. बीपी पीएलसी ने पहली बार भारत में तेल ब्लॉक के लिए बोली जमा की है.

बीपी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के 21 तेल एवं गैस ब्लॉक में 30 फीसदी हिस्सेदारी खरीदकर 2011 में देश में कदम रखा था. हालांकि, इसमें कुछ एक को छोड़कर बाकी सभी को वापस कर दिया गया. मुकेश अंबानी की स्वामित्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज ने नयी अन्वेषण लाइसेंसिंग नीति (एनईएलपी) के नौवें दौर में अपने बूते छह ब्लॉकों के लिए बोली लगायी थी, लेकिन उसे एक भी ब्लॉक नहीं मिला.

सूत्रों ने कहा कि रिलांयस-बीपी ने उसी ब्लॉक के लिए बोली लगायी है, जिसे बीपी ने रुचि पत्र आमंत्रण के दौरान चुना था. देश में जुलाई, 2017 में तेल एवं गैस क्षेत्र में नयी नीति की शुरुआत की गयी. इसमें कंपनियों को अपनी पसंद का क्षेत्र चुनने की आजादी दी गयी. इसके तहत देश में 28 लाख वर्ग कीलोमीटर क्षेत्र में खोज कार्य की शुरुआत की जानी है.

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