नयी दिल्ली : प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) ने सहारा समूह को सेबी के आदेश के खिलाफ दायर अपील वापस लेने की आज अनुमति दे दी. सेबी ने अपने आदेश में सहारा म्यूचुअल फंड को अपनी योजनाएं समेटने का निर्देश दिया था. इस महीने की शुरूआत में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सहारा म्यूचुअल फंड से सभी योजनाओं को बंद करने को कहा था. इस आदेश के खिलाफ सहारा समूह ने न्याधिकरण का दरवाजा खटखटाया.
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सैट ने अपने एक आदेश में कहा कि अपीलकर्ताओं को ताजा अपील दायर करने की स्वतंत्रता के साथ पहले की अपील वापस लेने की अनुमति दी जाती है. सहारा एसेट मैनेजमेंट कंपनी, सहारा म्यूचुअल फंड तथा सहारा इंडिया फाइनेंशियन काॅरपोरेशन अपीलकर्ता थीं. न्यायाधिकरण ने यह भी कहा कि ताजा अपील अगर कोई है, तो उसे दो मई, 2018 तक दाखिल किया जा सकता है और अगर यह दायर की जाती है, उसे अगले दिन तीन मई 2018 को विचार के लिए रखा जाए.
सहारा समूह की सेबी के साथ लंबे समय से नियामकीय और कानूनी लड़ाई चल रही है. यह लड़ाई तब से जारी है, जब सेबी ने सहारा की दो कंपनियों को 24,000 करोड़ रुपये निवेशकों को लौटाने को कहा था. सेबी ने जुलाई, 2015 में सहारा के म्यूचुअल फंड पंजीकरण को रद्द कर दिया था. उस समय उसने कहा था कि कंपनी कारोबार करने के लिए उपयुक्त नहीं है. नियामक ने अन्य फंड हाउस को कामकाज सौंपने का आदेश दिया था. इसके साथ ही, सेबी ने छह महीने की अवधि समाप्त होने पर सहारा म्यूचुअल फंड का पंजीकरण रद्द करने का भी निर्देश दिया था.
इससे पहले, सेबी ने सहारा की कंपनी के पोर्टफोलियो प्रबंधन लाइसेंस भी रद्द कर दिया था. सेबी के आदेश के बाद सहारा म्यूचुअल फंड ने न्यायाधिकरण से संपर्क किया, जिसने सुप्रीम कोर्ट में जाने के लिए अपीलकर्ता को छह सप्ताह का समय दिया. उसके बाद सहारा म्यूचुअल फंड ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर, 2017 को सहारा की अपील खारिज कर दिया था. उसके बाद सेबी ने कंपनी से कड़ाई से समयसीमा का अनुपालन करने आदेश दिया था.
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